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झांसी। कोरोना वायरस के संक्रमण काल में क्रशर उद्योग की कमर टूट गई है। नए निर्माण कार्यों में कमी की वजह से गिट्टी की मांग बेतहाशा रूप से घट गई है। एक साल पहले की तुलना में अब कारोबार सिमट कर महज तीस फीसदी रह गया है। इसका अंदाजा क्रशरों पर जमा गिट्टी के ढेरों को देखकर लगाया जा सकता है। क्रशर कारोबार के धड़ाम होने से रोजगार भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
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जिले के प्रमुख कारोबारों में शुमार क्रशर उद्योग रोजगार का बड़ा जरिया है। झांसी में 130 क्रशर हैं और प्रत्येक क्रशर पर औसतन 25-30 कर्मचारी /श्रमिक सीधे तौर पर कार्यरत हैं। इस हिसाब से जिले में क्रशरों से सीधे तौर पर चार हजार लोगों को रोजगार मिलता है। जबकि, सैकड़ों की संख्या में ट्रक /डंपर गिट्टी के परिवहन के क्रशर के सहारे ही चलते हैं। इन क्रशरों पर अलग-अलग प्रकार की गिट्टी तैयार की जाती है। 40 एमएम और 20 एमएम वाली गिट्टी का प्रयोग सड़कों के निर्माण में होता है। जबकि, 10 एमएम और 6 एमएम वाली गिट्टी भवनों के निर्माण में इस्तेमाल की जाती है। लेकिन, कोरोना काल में पिछले एक साल में निजी और सरकारी निर्माण कार्य बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। मंदी के चलते लोगों ने अपने प्रोजेक्ट टाल दिए हैं। जबकि, सरकार का भी पूरा फोकस कोरोना वायरस के संक्रमण के नियंत्रण पर है। इसका सबसे ज्यादा असर क्रशर व्यवसाय पर पड़ा है। गिट्टी की मांग में आई भारी कमी की वजह से ये व्यवसाय मंदी की चपेट में आ गया है। कारोबारियों का कहना है कि एक साल पहले की तुलना में गिट्टी की मांग सत्तर फीसदी तक घट गई है। कारोबार के खर्चे निकालना मुश्किल हो गया है।
मजदूरों की हुई वापसी
झांसी। क्रशर पर काम करने वाले मजदूरों को प्रतिदिन के हिसाब से उनके मेहनताने का भुगतान किया जाता है। लेकिन, काम कम होने की वजह से मजदूरों की संख्या भी घटती जा रही है। पिछले साल कोरोना काल में लॉकडाउन लागू रहने की वजह से क्रशर पूरी तरह से बंद हो गए थे। ऐसे में मजदूर अपने गांवों की ओर लौट गए थे। इनमें से आधे मजदूर लौटे ही नहीं। काम कम होने की वजह से क्रशर संचालकों ने मजदूरों को वापस लाने की जहमत भी नहीं उठाई।
गिट्टी की मांग में सत्तर फीसदी तक की गिरावट आई है। इससे कारोबार न के बराबर ही रह गया है। हालात ये हैं के कारोबार के खर्चे निकालना भी मुश्किल हो रहा रहा है। इस उद्योग में जान फूंकने के लिए सरकार को व्यापक योजना बनानी चाहिए।
- प्रशांत गुप्ता ‘बॉबी’, श्री पीतांबरा स्टोन क्रशर
कोरोना काल में क्रशर उद्योग बुरी तरह से टूट गया है। गिट्टी की मांग लगातार घटती जा रही है। जबकि, खर्चों में कोई कमी नहीं आई है। उद्यमी परेशान हैं। इस उद्योग को दुबारा से खड़ा करने के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। करों का बोझ घटाकर सब्सिडी देनी चाहिए।
- विशाल गुप्ता, श्रीराम स्टोन
पिछले साल लॉकडाउन लागू होने के साथ ही क्रशर व्यवसाय टूटने लगा था। हालांकि, अभी बीच में हालत सामान्य होने पर सुधार की कुछ गुंजाइश नजर आई थी। लेकिन, महामारी की दूसरे लहर ने व्यवसाय को फिर चपेट में ले लिया है। उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को पॉलिसी लानी चाहिए।
- अतुल दुबे, राधे-राधे स्टोन
जिले के प्रमुख कारोबारों में शुमार क्रशर उद्योग रोजगार का बड़ा जरिया है। झांसी में 130 क्रशर हैं और प्रत्येक क्रशर पर औसतन 25-30 कर्मचारी /श्रमिक सीधे तौर पर कार्यरत हैं। इस हिसाब से जिले में क्रशरों से सीधे तौर पर चार हजार लोगों को रोजगार मिलता है। जबकि, सैकड़ों की संख्या में ट्रक /डंपर गिट्टी के परिवहन के क्रशर के सहारे ही चलते हैं। इन क्रशरों पर अलग-अलग प्रकार की गिट्टी तैयार की जाती है। 40 एमएम और 20 एमएम वाली गिट्टी का प्रयोग सड़कों के निर्माण में होता है। जबकि, 10 एमएम और 6 एमएम वाली गिट्टी भवनों के निर्माण में इस्तेमाल की जाती है। लेकिन, कोरोना काल में पिछले एक साल में निजी और सरकारी निर्माण कार्य बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। मंदी के चलते लोगों ने अपने प्रोजेक्ट टाल दिए हैं। जबकि, सरकार का भी पूरा फोकस कोरोना वायरस के संक्रमण के नियंत्रण पर है। इसका सबसे ज्यादा असर क्रशर व्यवसाय पर पड़ा है। गिट्टी की मांग में आई भारी कमी की वजह से ये व्यवसाय मंदी की चपेट में आ गया है। कारोबारियों का कहना है कि एक साल पहले की तुलना में गिट्टी की मांग सत्तर फीसदी तक घट गई है। कारोबार के खर्चे निकालना मुश्किल हो गया है।
मजदूरों की हुई वापसी
झांसी। क्रशर पर काम करने वाले मजदूरों को प्रतिदिन के हिसाब से उनके मेहनताने का भुगतान किया जाता है। लेकिन, काम कम होने की वजह से मजदूरों की संख्या भी घटती जा रही है। पिछले साल कोरोना काल में लॉकडाउन लागू रहने की वजह से क्रशर पूरी तरह से बंद हो गए थे। ऐसे में मजदूर अपने गांवों की ओर लौट गए थे। इनमें से आधे मजदूर लौटे ही नहीं। काम कम होने की वजह से क्रशर संचालकों ने मजदूरों को वापस लाने की जहमत भी नहीं उठाई।
गिट्टी की मांग में सत्तर फीसदी तक की गिरावट आई है। इससे कारोबार न के बराबर ही रह गया है। हालात ये हैं के कारोबार के खर्चे निकालना भी मुश्किल हो रहा रहा है। इस उद्योग में जान फूंकने के लिए सरकार को व्यापक योजना बनानी चाहिए।
- प्रशांत गुप्ता ‘बॉबी’, श्री पीतांबरा स्टोन क्रशर
कोरोना काल में क्रशर उद्योग बुरी तरह से टूट गया है। गिट्टी की मांग लगातार घटती जा रही है। जबकि, खर्चों में कोई कमी नहीं आई है। उद्यमी परेशान हैं। इस उद्योग को दुबारा से खड़ा करने के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। करों का बोझ घटाकर सब्सिडी देनी चाहिए।
- विशाल गुप्ता, श्रीराम स्टोन
पिछले साल लॉकडाउन लागू होने के साथ ही क्रशर व्यवसाय टूटने लगा था। हालांकि, अभी बीच में हालत सामान्य होने पर सुधार की कुछ गुंजाइश नजर आई थी। लेकिन, महामारी की दूसरे लहर ने व्यवसाय को फिर चपेट में ले लिया है। उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को पॉलिसी लानी चाहिए।
- अतुल दुबे, राधे-राधे स्टोन
कोरोना काल में टूटी क्रशर उद्योग की कमर - अमर उजाला
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