जागरण संवाददाता, जम्मू : शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के हनीबी एंड पोलिनेटर, एंटोमोलॉजी डिवीजन की ओर से तीन दिवसीय मधुमक्खी पालन के लिए राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें मधुमक्खी पालन को कम लागत वाला लाभकारी व्यवसाय बताया गया।
कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय मधुमक्खी पालन अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान सीबीआरटीआइ, पुणे, महाराष्ट्र के सहयोग से किया गया था। प्रशिक्षण में कृषि निदेशालय, जम्मू और कश्मीर और बागवानी, योजना और विपणन विभाग, जम्मू के अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के दौरान एसकेयूएएसटी जम्मू-कश्मीर के कुलपति डा. जेपी शर्मा मुख्य अतिथि थे। डा. बलराज सिंह, परियोजना समन्वयक, एआइसीआरपी, हनीबी एंड पोलिनेटर नई दिल्ली कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे। कुलपति ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि मधुमक्खी पालन न्यूनतम निवेश और बिना किसी भूमि की आवश्यकता के शुरू किया जा सकता है। मधुमक्खी पालन बहुत ही आकर्षक व्यवसाय है। इसमें एक वर्ष का बहुत ही कम भुगतान होता है। उन्होंने मधुमक्खी पालन में विविधीकरण, मधुमक्खी उत्पादों के गुणवत्ता नियंत्रण, ब्रांडिग और पैकेजिग पर जोर दिया जो मधुमक्खी पालकों की आय को बढ़ाने में सहायक होगा। डा. बलराज सिंह ने कहा कि देश में लगभग 2.5 लाख मधुमक्खी पालक हैं। इनमें 35 लाख मधुमक्खी कालोनियां हैं। 2020-21 के दौरान भारत में शहद का उत्पादन 1.22 हजार मीट्रिक टन था। फसलों के पराग कण के लिए मधुमक्खी कालोनियों की आवश्यकता वर्तमान में 35 लाख मधुमक्खी कालोनियों की तुलना में एक करोड़ से अधिक है। निदेशक कृषि, जम्मू के के शर्मा ने किसानों की आय दोगुनी करने के मद्देनजर जम्मू क्षेत्र में मधुमक्खी पालन की समस्याओं और संभावनाओं पर चर्चा की। परियोजना के पीआइ डा. देविदर शर्मा ने कहा कि मधुमक्खियां पारिस्थितिकी तंत्र की महत्वपूर्ण कड़ी हैं और इसलिए पर्यावरण के लिए मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना बहुत महत्वपूर्ण है। विभागाध्यक्ष डा. आरके गुप्ता ने अपने भाषण में विश्वविद्यालय में किए गए कार्यो की रूपरेखा तैयार की।
शॉर्ट मे जानें सभी बड़ी खबरें और पायें ई-पेपर,ऑडियो न्यूज़,और अन्य सर्विस, डाउनलोड जागरण ऐप
मधुमक्खी पालन कम लागत का लाभकारी व्यवसाय - दैनिक जागरण
Read More
No comments:
Post a Comment