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Tuesday, June 29, 2021

शहद व्यवसाय के लिए गोबिंदर को बेचने पड़े घर के आभूषण, पर नहीं हारी हिम्मत, आज करोड़ों में है कमाई - TV9 Hindi

गोबिंदर सिंह पंजाब के शहद व्यवसायी है. आज इनके उत्पाद स्थानीय बाजार समेत अमेरिका में भी बिकते हैं. पर बिजनेस की शुरुआत में गोबिंदर के सामने मुश्किल चुनौती आयी थी. उन्हें अपने परिवार के गहने बेचने पड़ गये थे.

शहद व्यवसाय के लिए गोबिंदर को बेचने पड़े घर के आभूषण, पर नहीं हारी हिम्मत, आज करोड़ों में है कमाई

शहद बेचकर करोड़ों कमाते हैं गोबिंदर सिंह

पंजाब के लांडा गांल के गोबिंदर सिंह रंधावा मधुमक्खी पालन में जाना पहचाना नाम  है. उनके जीवन में एक ऐसा भी आया था जब उनके पास अपना बिजनेस चलाने के पैसे नहीं थे. ऐसे समय में उनको अपने परिवार के गहने भी बेचने भी पड़ गये थे. पर आज उनका करोड़ों में हो रहा है. गोबिंदर सिंह किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं.  मधुमक्खी पालन के लिए गांव के ही सरदार बलदेव सिंह और सरदार जगजीत को वो अपना आदर्श मानते हैं.

गोबिंदर सिंह , बलदेव सिंह और जगजीत सिंह से इतना प्रभाविक हुए कि उन्होंने उनके विचार से प्रेरित होकर मधुमक्खी पालन के लिए पंजाब यूनिर्सिटी से एक सप्ताह की ट्रेनिंग ली. इसके बाद अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने मधुमक्खी पालन का कार्य शुरु किया. मधुमक्खी पालन में उन्हें बेहतर संभानाएं नजर आयी इसलिए उन्होंने 120 हनी बॉक्स समेय अन्य उपकरण खरीदने के लिए ढाई लाख रुपये का लोन लिया.

द बैटर इंडिया के मुताबिक गोबिंदर सिंह से दोनों दोस्तों ने उनसे किनारा कर लिया जब उन्हें यह अहसास हुआ की उनका कोराबार नहीं चलेगा. इसके बाद वो बिलकुल अकेले हो गये. व्यवसाय की शुरुआत थी. उन्हें कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ा. मुश्किलें यहां तक आयी कि उन्हें बिजनेस चलाने के लिए अपने परिवार के गहने तक बेचने पड़ गये.

गोबिदंर सिंह बताते है कि वर्ष 2004 उनके लिए बिजनेस के हिसाब से बेहद खराब साबित हुआ, क्योंकि इस दौरान पूरे पंजाब में मधुमक्खियों के बीच एक वरोआ माइट संक्रमण फैला. संक्रमण के कारण करीब 99 फीसदी मधुमक्खियां मर गयी. यह उनके बिजनेस के लिए एक बड़ा झटका था. उन्होनें बताया कि इस दौरान उनके सभी बक्शे खाली हो गये. सिर्फ कुछ ही जगहों पर मधुमक्खियां बची थी. इश साल उन्हें काफी नुकसान हुआ था.  यह वही समय था जब उनका एक दोस्त उन्हें छोड़कर ऑस्ट्रेलिया चला गया और दूसरे दोस्त ने दूसरा व्यवसाय कर लिया.

पर इसके बावजूद गोबिंदर सिंह वने हार नहीं मानी और अपना काम जारी रखा. इसके बाद वर्ष 2009 में शहद के एक्सपोर्ट और इंपोर्ट का लाइसेंस प्राप्त हुआ. उस समय उनका बिल्कुल बुरे दौर से गुजर रहा था. बिजनेस के सहारे जिंदा रहना मुश्किल हो गया था. बड़ी मुश्किल से महीने में 20 हजार रुपये की बिक्री कर पाते थे जबकि उनके द्वारा लिये गये लोन पर लगातार इंटरेस्ट बढ़ रहा था.

गोबिंदर बताते हैं कि उन्होंने अपनी दुकान खोलने के लिए काफी पैसा खर्च किया था. इसके कारण उनके पास प्रचार के लिए पैसे नहीं थे. जिस कारण से बिक्री प्रभावित हो रही थी. इस मुसिबत से पार पाने के लिए उन्होंने अपने परिवार के आभूषण भी बेचे. लेकिन पैसे नाकाफी थे.

पर इस दौरान धीरे धीरे उनका बिजनेस चलने लगा. अमेरिका से शहद के अधिक से अधिक ऑर्डर आने लगे. फिर 2012-13 से उन्होंने शहद का एक्सपोर्ट करना शुरु कर दिया. बिक्री भी बढ़ी और मुनाफा भी अच्छा होने लगा. गोबिंदर बताते हैं कि घरेलू बाजार के अलावा अमेरिका में भी उनके उत्पाद की काफी मांग है. अब वो युरोपिय बाजार में जाने की सोच रहे हैं.

अब गोबिंदर इस बिजनेस से सालाना चार से पांच करोड़ रुपये की कमाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वो शहद, बी वैक्स, मधुमक्खी पराग, मधुमक्खी प्रोपोलिस, मधुमक्खी जहर, रॉयल जेली और व्यापारिक मधुमक्खी कॉलोनियों जैसे उत्पादों से पैसे कमा रहे हैं. उन्होंने 310 से अधिक किसानों का एक समूह भी स्थापित किया है, जिन्हें उन्होंने मधुमक्खी पालन व्यवसाय में मार्गदर्शन और मदद की है.

नरेंद्र पाल सिंह एक ऐसे किसान हैं जिनकी गोबिंदर ने मदद की है. वो बताते हैं कि गोबिंदर ने मुझे अच्छे मुनाफे का आश्वासन देने के बाद पिछले 10 वर्षों में शहद बेचने के लिए दो दुकानें स्थापित कीं है. आज मैं प्रति माह 35,000 रुपये कमाता हूं. हालांकि गोबिंदर कहते हैं कि अभी भी कुछ चुनौतियां हैं, क्योंकि कई ऐसे किसान है जो मधुमक्खी बक्शे के पास कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं. जिसके कारण मधमक्खियां मर जाती हैं.

गोबिंदर कहते हैं कि व्यापार में चुनौतियां आती ही हैं. पर कठिन समय को पार करके ही व्यवसाय में तरक्की हासिल की जा सकती है. पर अब व्यवसाय करने में मजा आता है क्योंकि यह नौकरी की तुलना में अधिक फायदेनमंद है.

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