![भारत में खाद्य और कृषि व्यवसाय स्टार्टअप: वर्तमान परिदृश्यऔर भविष्य का परिप्रेक्ष्य' पर वेबिनार भारत में खाद्य और कृषि व्यवसाय स्टार्टअप: वर्तमान परिदृश्यऔर भविष्य का परिप्रेक्ष्य' पर वेबिनार](https://www.pressnote.in/upload/445375.jpg)
उदयपुर. डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय संघटक महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने कुलपति डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़ के संरक्षण तथा मार्गदर्शन में "भारत में खाद्य और कृषि व्यवसाय स्टार्टअप: वर्तमान परिदृश्य और भविष्य का परिप्रेक्ष्य" पर एक वेबिनार का आयोजन किया।
वेबिनार के संयोजक डॉ नरेंद्र कुमार जैन,अधिष्ठाता, सीडीएफटी, आयोजन सचिव श्री कमलेश कुमार मीणा, सहायक प्रोफेसर, सीडीएफटी और सह-संयोजक डॉ निकिता वधावन, डॉ अरुण कुमार, और श्री मंगल काबरा,सहायक प्रोफेसर, सीडीएफटी।वेबिनार के मुख्य वक्ता श्री विजय सरदाना , सदस्य, सीडीएसी और एसईबीआई स्वतंत्र निदेशक, एनएबीकेईएसएएन वित्तीय सेवाएं, नाबार्ड, कृषि-अर्थशास्त्री और स्टार्टअप सलाहकार थे।
कार्यक्रम का संचालन प्रातः १० बजे सिस्को वेबीएक्स पर हुआ। डॉ नरेंद्र कुमार जैन,अधिष्ठाता, सीडीएफटी ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और वेबिनार की प्रस्तावना पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वेबिनार का उद्देश्य छात्रों को स्टार्टअप के महत्व और वर्तमान परिदृश्य में उनकी आवश्यकता के बारे में जागरूक करना है।
कुलपति और वेबिनार के मुख्य अतिथि डॉ नरेंद्र सिंह राठौड ने स्टार्टअप के निर्माण की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सही प्रकार का कौशल विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अनाज प्रसंस्करण, दूध प्रसंस्करण, फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण की उच्च संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि सभी छात्रों को लक्ष्य हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की जरूरत है। उन्हें अपने काम के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
मुख्य वक्ता श्री विजय सरदाना ने कहा कि छात्रों को रचनात्मक और अभिनव होना चाहिए। वर्तमान परिदृश्य स्टार्टअप के अवसरों से भरा है। चूंकि, लोग खाना खाना बंद नहीं कर सकते, इसलिए फूड स्टार्टअप्स के लिए अनंत संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने स्टार्टअप के महत्व को स्पष्ट करने के लिए अपने विशाल और विविध अनुभव से विभिन्न उदाहरण साझा किए। उन्होंने बताया कि पश्चिमी देशों का अंधा अनुसरण करने के बजाय हम क्षेत्रीय भोजन जैसे दाल बाटी, केर सांगरी, मोरिंगा इसबगोल आदि के आधार पर फूड स्टार्ट अप विकसित कर सकते हैं जो कि काफी अनोखा है। क्षेत्रीय भोजन को उसके स्वादिष्ट स्वाद और पोषण के लिए भी महत्व दिया जाता है और इस वजह से ऐसे स्टार्टअप के लिए अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने बहुत से अनछुए पहलुओं पे प्रकाश डाला और बताया की किस प्रकार एक मनुष्य जीवन में हर उंचाई को छु सकता है बशर्ते की वह हर समय कुछ नया सीखने को तत्पर रहे। उन्होंने स्टार्ट उप व्यवसाय को सफल बनाने हेतु रिस्क मैनेजमेंट एवं उपभोक्ताओं के मन को पढना, इन दो बातों की अहम भूमिका दर्शायी। उन्होंने “क्वालिटी ओवर क्वांटिटी” पे विशेष ध्यान दिया और साथ ही बताया की अगर हम विदेशी फ़ास्ट फ़ूड की बजाय हमारे भारत के पारंपरिक व्यंजनों को ज्यादा महत्ता दें, तो स्टार्टअप व्यवसाय में बहुत सुन्हरे अवसर हैं। उन्होंने छात्रों को भी प्रगतिशील रहते हुए समय के साथ कुछ नया करने एवं हमेशा सकारात्मक रहते हुए कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया एवं अपने विषय से हटकर, वित्त विषयो की जानकारी लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
पूरे देश में ८०० से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए और वेबिनार की सराहना की। मुख्य वक्ता के व्याख्यान के बाद वृहद प्रश्न उत्तर सत्र का आयोजन किया गया। कमलेश कुमार मीणा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।कार्यक्रम का सफल समन्वयन पीयूष चौधरी, मानविक जोशी एवं टीना कल्याण ने किया।
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भारत में खाद्य और कृषि व्यवसाय स्टार्टअप: वर्तमान परिदृश्यऔर भविष्य का परिप्रेक्ष्य' पर वेबिनार Education :: pressnote.in - Pressnote.in
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