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जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : कोविड काल के हालात सामान्य होने के बाद लग रहा था कि पर्यटन व्यवसाय उठेगा। लेकिन आपदा की मार से एक बार फिर पर्यटन उद्योग बैठ गया है। होटल व्यवसायी, साहसिक पर्यटन से जुड़े लोगों को करीब इसी सीजन में डेढ़ करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। लगभग सभी पर्यटक चले गए हैं। अब आने की संभावना भी कम ही दिखाई दे रही है।
कोरोना काल के डेढ़ साल बाद पहाड़ में धीरे-धीरे पर्यटक चढ़ने लगे थे। जिससे होटल, साहसिक पर्यटन से जुड़े लोग व अन्यों स्थानीय लोगों के चेहरे में खुशी थी। सितंबर माह से पर्यटक भी आने लगे थे। होटलों में भी रौनक थी। पर्यटक स्थलों बिनसर, कसारदेवी, रानीखेत, द्वारहाट आदि इलाकों में पर्यटन चहलकदमी भी करते दिखाई देने लगे थे। लेकिन पांच दिन पूर्व ऐसी प्राकृतिक आपदा आई, जिससे पूरा पहाड़ ही खाली हो गया। वर्तमान में सभी पर्यटक जा चुके हैं। पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां लगभग खत्म हो गई हैं।
सबसे अधिक नुकसान साहसिक पर्यटन से जुड़े लोगों को हुआ है। सितंबर के महीने में पहाड़ पर पिडारी, सुंदरढूंगा, पिथौरागढ़ का मिलम, नामिक, ट्रेल पास आदि की साहसिक यात्रा करने के लिए देशी-विदेशी सैलानी पहुंचते थे। यहां के कुछ स्थानीय लोगों ने पर्यटकों की सुविधा के लिए एजेंसियां बनाई थी। लेकिन आपदा के बाद से पूरी तरह बुकिग ठप हो गई है। साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में काम कर रहे मोहित गुप्ता ने कहा कि जिले में तीन लोग इस व्यवसाय से जुड़े है। आपदा के बाद सभी का जोड़ लें तो 50 लाख का नुकसान हुआ है। हमारे साथ कई परिवार भी रोजगार से जुड़े हुए हैं। वहीं जिले में सभी होटल लगभग पर्यटकों से खाली हो गए हैं। होटल व्यवसाय को भी एक करोड़ से अधिक का नुकसान हो गया है। व्यवसाइयों का कहना था कि दीपावली के बाद तक पर्यटक यहां पर रहते थे। अब होटल वीरान हैं।
आपदा के बाद दिक्कत तो आई ही है। पर्यटक तो लगभग चले गए हैं। अब आने की उम्मीद कम ही है। अब हालात तो सामान्य हो ही गए हैं।
- राहुल चौबे, जिला पर्यटन अधिकारी, अल्मोड़ा
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लगभग सभी पर्यटक लौटे
Edited By: Jagran
आपदा के जख्मों से पर्यटन व्यवसाय धड़ाम - दैनिक जागरण
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