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रेवाड़ी। रेवाड़ी में नीली क्रांति का परिचय मत्स्य पालन व्यवसाय किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। मत्स्य पालन विभाग जिले में मछली पालन व्यवसाय से जुड़े मत्स्य किसानों को आजीविका के बेहतर अवसर प्रदान कर उनके आर्थिक विकास के लिए प्रयासरत है। रेवाड़ी में मत्स्य पालन व्यवसाय मत्स्य किसानों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा। रेवाड़ी जिला में अनेक मत्स्य पालक किसान इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
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विभाग की ओर से मछली पालकों को मछली पालन का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ प्रशिक्षण भत्ता भी प्रदान दिया जाता है। इसके अलावा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य कृषकों को नोटिफाइड वाटर पर 25 प्रतिशत अनुदान, पंचायती तालाबों के पट्टा राशि पर 50 प्रतिशत अनुदान, खाद-खुराक लागत पर प्रति हेक्टेयर 1.50 लाख पर 60 प्रतिशत अनुदान और 15 हजार के जाल की खरीद पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। मत्स्य कृषकों को डीप बोरवेल पर 2 लाख लागत का 60 प्रतिशत सभी वर्गों की महिलाओं व अनुसूचित जाति को तथा 40 प्रतिशत सामान्य व ओबीसी को व सोलो ट्यूबनिल पर 50 हजार लागत पर 60 प्रतिशत व 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।
इसके अलावा एरियेटर पर 30 हजार लागत पर 60 प्रतिशत व 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। मत्स्य पालन के लिए विभाग द्वारा ग्रो आउट पोंड पर 11 लाख लागत पर व रिपेयरिंग पोंड के लिए अनुमानित लागत सात लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि सामान्य व ओबीसी प्रार्थियों के लिए एआरटीआई हिसार में ट्रेनिंग उपलब्ध है जहां 10 दिनों की ट्रेनिंग पर 11 सौ रुपये प्रशिक्षण भत्ता भी दिया जाता है।
विभाग की ओर से मछली पालकों को मछली पालन का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ प्रशिक्षण भत्ता भी प्रदान दिया जाता है। इसके अलावा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य कृषकों को नोटिफाइड वाटर पर 25 प्रतिशत अनुदान, पंचायती तालाबों के पट्टा राशि पर 50 प्रतिशत अनुदान, खाद-खुराक लागत पर प्रति हेक्टेयर 1.50 लाख पर 60 प्रतिशत अनुदान और 15 हजार के जाल की खरीद पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। मत्स्य कृषकों को डीप बोरवेल पर 2 लाख लागत का 60 प्रतिशत सभी वर्गों की महिलाओं व अनुसूचित जाति को तथा 40 प्रतिशत सामान्य व ओबीसी को व सोलो ट्यूबनिल पर 50 हजार लागत पर 60 प्रतिशत व 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।
इसके अलावा एरियेटर पर 30 हजार लागत पर 60 प्रतिशत व 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। मत्स्य पालन के लिए विभाग द्वारा ग्रो आउट पोंड पर 11 लाख लागत पर व रिपेयरिंग पोंड के लिए अनुमानित लागत सात लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि सामान्य व ओबीसी प्रार्थियों के लिए एआरटीआई हिसार में ट्रेनिंग उपलब्ध है जहां 10 दिनों की ट्रेनिंग पर 11 सौ रुपये प्रशिक्षण भत्ता भी दिया जाता है।
नीली क्रांति का परिचायक मछली उत्पादन व्यवसाय किसानों को कर रहा मालामाल - अमर उजाला
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