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पूसा। मशरूम निदेशालय, सोलन (हिमाचल प्रदेश) के पूर्व निदेशक डॉ. मंजीत सिंह ने कहा कि विश्व में भारत 242 हजार टन मशरुम का उत्पादन कर छठे स्थान पर है। इसे और बेहतर बनाने के लिए मैकेनाईजेशन, ऑटोमेशन, नई तकनीक, बाजारो की मांग के अनुरूप उन्नत प्रभेद व समुचित व्यवसाय प्रबंधन को बढ़ावा देने की जरूरत है। वे मंगलवार को विवि के विद्यापति सभागार में वैज्ञानिकों व मशरूम उत्पादकों को संबोधित कर रहे थे। मौका था मशरुम द्वारा ग्रामीण युवाओं में कुपोषण घटाने एवं रोजगार बढ़ाने की संभावना विषय पर दो दिवसीय चिंतन-मंथन समारोह के उद्घाटन सत्र का। उन्होंने कहा कि बिहार समेत देश में इसकी काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने विवि को तकनीकी संवाद को बढ़ावा देने की सलाह दी। उन्होंने विश्व स्तर पर मशरूम की उत्पादकता व उसके तौर-तरीको से अवगत कराया। अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि विवि ने अपनी तकनीक की मदद से किसानों की आमदनी दूनी कर दी है। इसमें मशरूम भी एक बेहतर उदाहरण है। जिससे हजारो परिवार खासकर महिलाओं ने आर्थिक समृद्धि पाकर सामाजिक स्तर पर अलग पहचान बनाई। उन्होंने मशरुम की बालकनी सिस्टम तकनीक को जल्द शुरू करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मशरुम उत्पादन विषय पर विवि में जल्द ही एक वर्षीय कोर्स शुरू करेगा। उन्होंने मिड डे मिल में मशरूम को शामिल करने पर राज्य सरकार की सराहना की। विषय प्रवेश परियोजना निदेशक डॉ. दयाराम ने किया। निदेशक अनुसंधान डॉ. मिथलेश कुमार ने मशरूम क्षेत्र में चल रहे शोध पर चर्चा की। स्वागत डीन (बेसिक साइंस) डॉ. सोमनाथ राय चौधरी एवं संचालन डॉ. सुधा नंदनी ने किया। इस दौरान राज्य के विभिन्न जिलांे से आये मशरूम उत्पादकों द्वारा लगाई प्रदर्शनी का अवलोकन आगत अतिथियों ने किया। मौके पर विवि के डीन-डायरेक्टर, वैज्ञानिक व मसरुम उत्पादक मौजूद थे।
समुचित व्यवसाय प्रबंधन से मशरूम को मिलेगा बाजार - Hindustan हिंदी
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