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Tuesday, June 28, 2022

रांची: आदिवासी समुदाय को व्यवसाय में नहीं मिल रहा सहयोग: डॉ. बासबी किड़ो - Lagatar Hindi

Ranchi: नेशनल एससी-एसटी हब, भारत सरकार का एमएसएमई मंत्रालय और ट्राईबल इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सहयोग से जेसिया भवन रांची में वर्ल्ड एमएसएमई डे 2022 का आयोजन किया गया. वर्ल्ड एमएसएमई डे के मौके पर उद्यमियों को संबोधित करते हुए टिक्की के ईस्टर्न जोन के कन्वेनर डॉ. बासबी किड़ो ने कहा कि आदिवासी समुदाय का व्यवसाय के क्षेत्र में आना अच्छा संकेत है. लेकिन परंपरागत व्यवसाय के अलावा ग्रामीण इनोवेशन पर ध्यान दिया जाना चाहिए. जो जिस क्षेत्र से आते हैं वे उसी क्षेत्र के संसाधन का उपयोग कर व्यवसाय को अपनाएं. वनोत्पाद का बेहतर प्रयोग किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आदिवासी युवक युवतियां तेजी से व्यापार की तरफ आकर्षित हुए हैं. हालांकि सरकार और निजी क्षेत्र के बड़े उपक्रमों से जो सहयोग मिलना चाहिए था उनको नहीं मिला है.

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आदिवासियों के लिए सरकारी योजना अधर में- डॉ. बासबी किड़ो

डॉ. बासबी किड़ो ने आज भी आदिवासी उद्यमिता एक चुनौती बनी हुई है. आदिवासियों को उद्योग व्यापार से जोड़ने की सरकारी योजना अधर में है. वहीं निजी क्षेत्र के बड़े उपक्रम भी आदिवासी उद्यमिता पर गंभीर नहीं है. उन्होंने एमएसएमई योजनाओं पर कहा कि भले ही एमएसएमई मंत्रालय का गठन एमएसएमई यूनिटों के विकास एवं सुरक्षा के लिए बनाई गई हो लेकिन आज छोटे-छोटे उद्यम, बड़े उपक्रमों के हाथों शोषित हैं.

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बड़ी कंपनियां छोटे व्यवसाय को कर रही खत्म: डॉ. बासबी किड़ो

डॉ. बासबी किड़ो ने कहा कि आज सरकारी उपक्रम हो या बड़े निजी उपक्रम दोनों ही सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों का शोषण कर रहे हैं. एमएसएमई यूनिट बड़े उपक्रमों के सहयोगी होते हैं. बड़े उपक्रमों को और बड़ा बनाने में छोटे-छोटे उद्यमियों का विशेष योगदान रहता है. लेकिन आज बड़ी कंपनियां इन छोटे-छोटे उद्यमों को खत्म कर मुनाफा कमा रही है. आने वाले दिनों में एमएसएमई अनुषांगी यूनिटों के लिए खतरे की घंटी है. वहीं इससे बड़ी कंपनियां भी प्रभावित होंगी. एक तरफ सरकारी एवं निजी क्षेत्र के बड़े उपक्रम एमएसएमई प्रावधानों का पालन नहीं करती है. हालांकि उक्त प्रावधानों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल जरूर करती है.

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आदिवासी होते हैं सीधे-साधे- डॉ. बासबी किड़ो

उन्होंने कहा कि यहां के आदिवासी मूलत: सीधे-साधे होते हैं. दूसरे राज्यों से आए हुए ठेकेदारों को यहां के स्थानीय लोगों के द्वारा किसी भी प्रकार की परेशानी या दिक्कत उत्पन्न नहीं की जाती है. सभी राज्यों से लोग यहां आकर अपना-अपना रोजगार, व्यवसाय कर रहे हैं. बड़े-बड़े उद्योग धंधे स्थापित कर रहे हैं. लेकिन यहां के स्थानीय आदिवासी आज भी उपेक्षित हैं. बड़ी कंपनियां आदिवासी विकास के नाम पर बड़े-बड़े पुरस्कार ले रही हैं जो सिर्फ दिखावा मात्र है.

राज्य सरकार एमएसएमई बोर्ड का करे गठन

ट्राइबल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ने केंद्र सरकार से मांग की है कि ग्रामीण व्यवसाय के विकास के लिए विशेष प्रावधान किया जाए. राज्य एमएसएमई बोर्ड का गठन किया जाए ताकि एमएसएमई वेंडरों का अस्तित्व बना रहे. साथ ही ग्रामीण रोजगार पर विशेष ध्यान देने के लिए सरकार से आग्रह किया गया.

मुर्गी-बकरी से ऊपर उठे सरकार- डॉ. बासबी किड़ो

डॉ. बासबी किड़ो ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुर्गी-बकरी से ऊपर उठकर काम करें. आदिवासी केवल मुर्गी-बकरी पालने के लिए नहीं है. आज का युवा पढ़े-लिखे होने के साथ-साथ क्रिएटिव भी है. उनको मौका दिया जाना चाहिए.

कार्यक्रम में ये लोग रहे मौजूद

कार्यक्रम में मुख्य रूप से लक्ष्मी उरांव, अनीमा बा, अनीता हेंब्रम, मैंग्रेटर डुंगडुंग, मौसमी भांगरा, नेशनल एससी-एसटी हब के राज्य प्रमुख विनोद कुमार, प्रबंधक कपिल राहुल कुमार के अलावा काफी संख्या में आदिवासी महिला उद्यमियों ने भाग लिया.

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