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चूरू8 घंटे पहले
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जिले में आरजीएचएस योजना लागू होने के बाद आठ सहकारी दवा बिक्री केंद्र व एक क्रय-विक्रय सहकारी समिति की दुकान का एक महीने का व्यवसाय 55 लाख से घटकर 24 लाख रुपए आ गया है। योजना से निजी मेडिकल स्टोर को जोड़ने व निजी अस्पतालों को अधिकृत करने के बाद जिले में इनका एक महीने में व्यवसाय करीब एक करोड़ पहुंच गया।
दूसरी ओर योजना के बाद प्रदेश में पर्ची पर दवा लिखवाकर घरेलू जरूरत का भी सामान लने के भी कई मामले सामने आ चुके हैं। जिले में मेडिकल होलसेल भंडार की आठ व क्रय-विक्रय सहकारी समिति की एक दुकान के जरिए अक्टूबर 2021 से पहले तक 55 लाख रुपए की दवा की खपत होती थी। अब आरजीएचएस लागू होने पर अक्टूबर 2021 के बाद से इन दुकानों पर दवा की खपत कम हो गई है। इधर, आरजीएचएस लागू होने से मोबाइल व इंटरनेट की जानकारी नहीं होने वाले पेंशनर्स को ओटीपी नंबर आदि के कारण परेशानी हो रही है। पहले वे मेडिकल डायरी के जरिए निशुल्क दवा ले लेते थे।
तय रेट से ज्यादा का बिल बनाने के केस भी सामने आ रहे
योजना के तहत निजी मेडिकल स्टोर द्वारा पांच गुणा अधिक का बिल बनाने जैसे मामले भी आ रहे हैं। चूरू में एक व्यक्ति ने आरजीएचएस कार्ड से एक निजी मेडिकल स्टोर से 500 रुपए की दवा ली, उसके मोबाइल पर 2500 रुपए का बिल आया। हालांकि बाद में मेडिकल स्टोर संचालक ने बिल को संशोधित करवा दिया। इसी तरह सीकर में भी डॉक्टर्स से पर्ची पर दवा लिखवाकर दवा की जगह घरेलू सामान लिए जाने का मामला सामने आया था।
आरपीएमएफ के स्थान पर लागू की गई आरजीएचएस सही है, लेकिन क्रियान्वयन सही नहीं हो रहा। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को दवा प्रेस्क्राइब करने के साथ ही निशुल्क दवा की उपलब्धता के लिए सरकारी होलसेल भंडार की दुकानों को ही अधिकृत करना चाहिए था। उक्त दवा यहां उपलब्ध नहीं हो तो एनएसी के आधार पर अधिकृत निजी मेडिकल स्टोर को अधिकृत करना ज्यादा उचित रहता।
-मोहनलाल गढ़वाल, अध्यक्ष, होलसेल भंडार, चूरू
आरजीएचएस योजना: आरजीएचएस लागू होने के बाद जिले के 8 सहकारी दवा बिक्री केंद्रों का व्यवसाय घटा - Dainik Bhaskar
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