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मुरादाबाद,अमृत विचार। महंगाई के दौर में पशुपालन घाटे का सौदा साबित हो रहा। इससे किसान किनारा करते जा रहे हैं। क्योंकि एक दुधारू पशु पर हर रोज 275 रुपये खर्च होते हैं। जबकि दूधिया किसान से 35-45 रुपये किलो दूध खरीदते हैं। जिससे किसान लागत नहीं निकाल पा रहे हैं।
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किसानों के लिए कृषि के बाद पशुपालन दूसरा सबसे बड़ा रोजी-रोटी का जरिया है। लेकिन बढ़ती महंगाई इस कारोबार पर अंकुश लगा रही है। मंडल में अधिकतर किसान दूध व्यवसाय से जुड़े हैं। ऐसे में किसानों के लिए दूध के कारोबार में मुनाफा न होने से परेशानी हो रही है। औसतन एक पशु पर एक दिन में 15-20 किलो भूसा, दो किलो दाना और एक किलो चोकर खर्च होता है। इन सबकी कीमत 275 रुपये होती है। वहीं एक भैंस की कीमत लगभग 50 हजार रुपये है। वह दिन में औसतन 7 लीटर दूध देती है। जिस दूध की कीमत गांव में 280 रुपये होती है। यह मवेशी पूरे साल में दूध नहीं देते। जब ये गर्भवती होती हैं तब से कई महीने पहले दूध देना बंद कर देती हैं। ऐसे में किसानों के लिए दूध का कारोबार घाटे का सौदा बनता जा रहा है। इसलिए पर्याप्त कमाई न होने की वजह से पशुपालन व्यवसाय खत्म कर रहें हैं।
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भूसे की कीमत 1500 रुपये क्विंटल : आसमान छू रही भूसें की कीमतों ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है। पहले भूसे की कीमत 700-800 रुपये प्रति क्विंटल थी। जो अब 1500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। पिछले साल बारिश से धान की खेती को नुकसान होने पर पराली पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। जिसका असर सीधा भूसे की कीमत में देखने को मिला।
35-45 रुपये खरीद रहे दूधिया: किसान पूरे दिन मवेशी पर मेहनत करके दूध बेचना का इंतजाम करता है। लेकिन दूधिया इसे किसानों से लेकर शहरों में अच्छे मुनाफे के साथ बेचता है। गांव से गाय का 35 और भैंस का दूध 45 रुपये किलो खरीदकर शहर में यह 60-70 रुपये प्रति किलो बेच रहें हैं। वह किसानों से ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं।
किसानों से ज्यादा मुनाफा दूधिया कमा रहे हैं। हमारे यहां से यह लोग 40 रुपये किलो दूध ले जाते हैं और शहर में 60 -70 को बेचते हैं। पूरे दिन मेहनत करने के बाद भी उचित मुनाफा नहीं मिल पाता। -मैलिंद्र सिरोही, किसान
किसानों की समस्या सुनने वाला देश में कोई नहीं है। एक छोटी से छोटी दुकान चलाने वाले भी अपने सामान की कीमत खुद लगाता है। लेकिन हमारी खेती की हमारे दूध की कीमत लगाने का हक हमारे पास नहीं है। -प्रदीप सिंह , किसान
दुधारू पशु प्रतिदिन 275 रुपये का भूसा, खल और चोकर खा जाते हैं। इसमें किसान की पूरे दिन की मेहनत भी शामिल होती है। लेकिन अब पशुपालन में घाटा हो रहा है। -कांति देवी, किसान
पिछले साल हुई बारिश से पुआल खराब हो गई थी। इससे भूसे की कीमत में भारी उछाल आया है। ऐसे में पशुपालन घाटे का सौदा बनता जा रहा हैं। -भूरी देवी, किसान
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मुरादाबाद : महंगाई के दौर में पशुपालन बन रहा घाटे का सौदा, व्यवसाय से किनारा कर रहे किसान - Amrit Vichar
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