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Monday, August 29, 2022

हिमाचल के 'न्यूटन्स' ने खेती को बनाया व्‍यवसाय, सेब उगाने के लिए कॉर्पोरेट नौकरियां छोड़ी - News18 हिंदी

आशीष मेहता (Ashish Mehta) की उम्र 32 साल है. आशीष अपने ‘कोटगढ़ फार्म’ (Kotgarh farm) में सीजन के सेब की पहली उपज तोड़ रहे थे, तब उन्हें ‘संगीत पत्रकार'(Music Journalist) के रूप में एक ‘अंतरराष्ट्रीय पत्रिका'(International megazine) से काम करने के लिए फोन आया. हालांकि आशीष ने वहां काम करने से मना कर दिया था. उस समय, आशीष ‘रॉक म्यूजिक’ पर जानकारी देने वाली एक लोकप्रिय वेबसाइट चला रहे थे और आशीष कई शहरों में गिटार प्लेयर (Guitar Player) के रूप में परफॉर्म कर चुके थे.

आशीष हिमाचल प्रदेश के सफल युवाओं में से एक हैं. आशीष अब सेब की खेती को ही अपना पेशा मान चुके हैं. हिमाचल प्रदेश में कई युवा ऐसे हैं, जो आर्किटेक्चर से लेकर इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से ताल्लुक रखते थे. कई लोगों ने खेती करने के लिए कॉर्पोरेट नौकरियों और कॉर्पोरेट के बेहतर अवसर को छोड़ दिया है. हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था का केंद्र सेब उत्पादन में है. सेब की खेती में 2 लाख से अधिक लोग शामिल हैं और सेब उद्योग में सालाना लगभग 6,000 करोड़ रुपये का उतपादन होता है.

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सैमुअल स्टोक्स ने दी थी हिमाचल को सेब की सौगात
‘सैमुअल इवान स्टोक्स’ अमेरिका के रहने वाले थे. 1900 दशक की शुरुआत में वह फ़िलाडेल्फ़िया (अमेरिका) सेब के पहले पौधे को कोटगढ़ ( हिमाचल प्रदेश) में लेकर आए थे. हिमाचल में रहने के कुछ दिनों के बाद ‘सेमुअल इवान स्टोक्स’ को ‘सत्यानंद स्टोक्स’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए.

सेमुअल’ की बहू ‘विद्या स्टोक्स’ कई बार रह चुकी कांग्रेस से विधायक
सेब के सबसे पहले प्रकार को रेड डिलीशियस के नाम से जाना गया और इसने राज्य के लिए एक नए युग की शुरुआत की. स्थानीय किसानों ने सेब के बागों में निवेश करना शुरू कर दिया. सैमुअल की बहू विद्या स्टोक्स हॉकी टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. साथ ही वह आठ बार विधायक भी रह चुकी हैं.

सेब की खेती की वजह से इस क्षेत्र के लोगों और जगह को एक अलग लोकप्रियता मिली
आशीष मेहता ने कहा, हिमाचल में सेब का अपना एक अलग इतिहास है. सेब की खेती की वजह से इस क्षेत्र के लोगों और जगह को एक अलग लोकप्रियता मिली. “हमने देखा है कि हमारे पिता और दादा ने हमारे खेतों के लिए कितनी मेहनत की है. एक समय था जब सड़कें नहीं थीं, और चीजें मैन्युअल रूप से लाई जाती थीं. कई मायनों में यह अभी भी वही है. साथ ही आशीष ने यह भी बताया कि हिमाचल के कई युवा सेब की खेती की तरफ बढ़ रहे है. खुशी इस बात की है कि वह युवा आगे आ रहे है जो कॉरपरेट की दुनिया में खुद को ढाल चुके थे.

Tags: Apple, Farming, Himachal pradesh

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