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-किसी जमाने में डराने वाली हवाएं अब हर्षाती है जैसाण में
-100 करोड़ के प्रस्तर ने देश-दुनिया में दिलाया नाम और दाम
-दीपक व्यास
जैसलमेर. कलात्मक सुंदरता, बारीक नक्काशी कार्य और अनूठे स्थापत्य शिल्प ने चुंबकीय आकर्षण देश-दुनिया के सैलानियों को जैसलमेर आने पर विवश कर दिया है। बिना चिमनी का यह उद्योग शासन और प्रशासन के साथ पर्यटन व्यवसायियों की भागीदारी के बूते अपरिमित ऊंचाइयों तक पहुंचने की नित नई संभावनाएं भी तलाश रहा है। वर्ष 1970 के दशक के आखिर से प्रारंभ हुए पर्यटन व्यवसाय का टर्न ओवर 1980 में 50 लाख रुपए का था और आज यह 2 हजार करोड़ तक जा पहुंचा है। हर वर्ष लाखों की संख्या में घरेलू और विदेशी सैलानियों की आवक के चलते जैसलमेर में सैकड़ों होटलें, सम और खुहड़ी में 100 से ज्यादा रिसोट्र्स व कैम्प्स, 300 से ज्यादा रेस्टोरेंट्स, दर्जनों ट्रेवल एजेंसियां, सैकड़ों की तादाद में हैंडीक्राफ्ट से लेकर अन्य व्यवसाय से जुड़ी दुकानों से 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है। भौगोलिक परिस्थितियों के कारण कभी 'लूÓ और कभी 'शीतलहरÓ बनकर आमजन को डराने वाली तेज गति की हवाएं हजारों करोड़ के निवेश का श्रेय प्राप्त कर रही है। जिले के अलग-अलग दिशाओं में विशाल पवन ऊर्जा की चक्कियों ने बिजली के लिए तरसने वाले जैसलमेर को विद्युत हब बना दिया है। सरकार इससे करोड़ों कमा रही है तो यह बाहरी निवेशकों तथा यहां के हजारों लागों को मालामाल बना चुकी है। जिले में वर्तमान में करीब 3000 पवन चक्कियांं चलकर इतनी ही मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही हैं। सूरज की प्रखर किरणों के कारण सौर ऊर्जा उत्पादन के लिहाज से यह कुदरती गर्मी उसके खूब काम आ रही है। यही नहीं जैसाण के पीत पाषाणों के कारण ही इस शहर को स्वर्णनगरी का नाम मिला और इसी पत्थर से स्थानीय तथा बाहरी लोगों को सालाना 100 करोड़ का व्यवसाय भी मिल रहा है। कारीगरी के लिहाज से मुलायम जैसलमेर का पत्थर कलात्मक सुंदरता व स्वर्णिम आभा की चमक सात समंदर पार तक बिखेर चुका है। बाहरी इलाकों में स्थापत्य की प्राचीन कला दम तोड़ चुकी है, जबकि जैसलमेर में यह आज भी कायम है। जैसलमेर के रिको औद्योगिक क्षेत्र में 25 गैंगसा इकाइयां व 100 ब्लॉक कटर इकाइयां हैं। जेठवाई में 250 ब्लॉक कटर संचालित किए जा रहे हैं।
फैक्ट फाइल
-38 हजार वर्ग किलोमीटर जैसलमेर का क्षेत्रफल
-7.50 लाख से ज्यादा आबादी का निवास
-02 विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर में
-2017 से नियमित हवाई सेवा का संचालन
यूं घूमा समय का पहिया
परिस्थितियों में आए बदलाव ने जैसलमेर को भौतिक रूप से विपन्न बनाते हुए सिल्क रुट की पहचान को अकाल व सूखे के स्थायी डेरे के तौर पर ला दिया था, लेकिन समय का पहिया फिर घूमा। करीब चार दशक पहले जैसलमेर के मरुस्थलीय क्षेत्रों में तेल और गैस की संभावनाओं ने भारत सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचा। करीब उसी समय यहां पोकरण में पहली बार परमाणु परीक्षण करवाए गए और विदेशियों ने सैलानी बनकर यहां पहुंचना शुरू किया। उसके बाद जैसलमेर के भूगर्भ में संचित खनिज पदार्थों से लेकर आबोहवा ने आधुनिक विकास की नई इबारत लिखी और वह हम सबके सामने है। जिस जैसलमेर के बाशिंदे रोजगार के लिए अपने घर-बार छोडग़ए थे, वे न केवल वापस लौटे हैं बल्कि बाहरी शहरों से लोग पर्यटन, प्रस्तर और पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन जैसे उद्योगों से जुड़कर कमाने-खाने के लिए जैसलमेर आकर बस गए हैं।
प्रगति की अपार संभावनाएं
जैसलमेर की पर्यटन, पत्थर उद्योग, पवन ऊर्जा सहित अन्य स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन के साथ नहरी क्षेत्र के विकास की अपार संभावनाएं हैं। जैसलमेर ने पिछले दशकों के दौरान विविध क्षेत्रों में प्रगति कह है, लेकिन अभी भी कई विकास की संभावनाओं की गुंजाइश महसूस की जा रही है।
-हरिवल्लभ कल्ला, सभापति, नगरपरिषद, जैसलमेर
दो शताब्दी बाद लक्ष्मी मेहरबान: 50 लाख से 2000 करोड़ तक पहुंचा पर्यटन व्यवसाय - Patrika News
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