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मांस और अंडे का व्यापार देश में तेजी से बढ़ रहा है. मुर्गी पालन कर किसान इस व्यवसाय में बढ़िया मुनाफा भी कमा रहे हैं. हालांकि, इस बीच देश के कुछ हिस्से में मुर्गी पालन से भी ज्यादा मुनाफा देनी वाली गिनी फाउल पक्षी को पालने का चलन बढ़ा है. इस पक्षी को ज्यादा देखरेख की जरूरत नहीं होती है, इसलिए इसे पालने में ज्यादा लागत नहीं आती है.
गिनी फाउल पक्षी को छोटे किसान भी पाल सकते हैं. यह लो इन्वेस्टमेंट बर्ड है. धूप, सर्दी और बारिश का इनपर असर नहीं होता है. यह पक्षी फीड की जगह दाना चुगने पर ज्यादा विश्वास रखती है. ऐसे में आहार के रुप में फीड खर्च होने वाली राशि बच जाती है. इसके अलावा ये पक्षी जल्दी बीमार भी नहीं पड़ता है.
गिनी फाउल पक्षी के अंडे का छिलका दूसरे पक्षियों के अंडों के मुकाबले दो से ढाई गुना ज्यादा मोटा होता है. ये आसानी से नहीं टूटता है. ऐसे में इन अंडों के टूटकर खराब होने की संभावनाएं भी कम रहती हैं. वहीं, गर्मियों के दिनों में मुर्गी का अंडा खुले में बिना फ्रिज के सात दिन में सड़ेगा, वहीं इसका अंडा 15 से 20 दिनों तक सुरक्षित रहता है.
इसकी कलगी से मादा और नर की पहचान की जाती है, 13 से 14 हफ्तों में मादा की कलगी नर की आपेक्षा में छोटा होता है. कोई किसान व्यवसायिक तरीके से गिनी फाउल पालन शुरू करना चाहता है तो 50 से 100 बर्ड्स से शुरूआत कर सकता है. मूल रूप से अफ्रीका गिनिया द्वीप की रहने वाली ये पक्षी साल में 100 अंडे देती है. इसके अंडे 17 से 20 रुपये में बिकते हैं. इसके मांस की भी मार्केट में काफी डिमांड है. ऐसे में किसान गिनी फाउल मछली से बढ़िया मुनाफा कमा सकता है. अगर आप भी गिनी फाउल पालन का प्रशिक्षण या फिर चूजे लेना चाहते हैं तो, केंद्रीय पक्षी अनुंसधान संस्थान बरेली से संपर्क कर सकते हैं.
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