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Thursday, July 20, 2023

» घर में ही व्यवसाय कर रहे हैं तो रखें सावधानियां, वरना कहेंगे जीवन संघर्ष ... - lionexpress.in

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आर.के. सुतार

ये हैरानी की बात है कि देश ही नहीं दुनियाँ भर में कुन्दन और जड़ाऊ आभूषण निर्माण में बीकानेर का नाम रोशन करने वाले अधिकांश लोगों की उम्र तंग गलियों के बीच संघर्ष करते हुए ही बीत जाती है? जिसने भी अपने घर से अलग किसी अन्य स्थान पर दुकान बना ली हो तो भविष्य में उनमें से अधिकांश का अपना शोरूम भी बन जाता है और वो प्रगति करते ही चले जाते हैं पर जो घर नहीं छोड़ पाये उनमें से अधिकांश लोग गृहस्थी और अर्थ के दो पाटों के बीच में पिसते हुए ही जीवन को काटने के लिए विवश हो जाते हैं। आखिर क्यों होता है ऐसा? आज यही सब जानेंगे वास्तु विश्लेषण के माध्यम से।

हर श्रमिक कभी ना कभी अपना स्वयं का स्वतंत्र व्यवसाय करने का सपना अवश्य देखता है। थोड़ा सा समर्थ होते ही अपना छोटा सा कारखाना या दुकान प्रारंभ में वह अपने घर में ही लगाता है क्योंकि वह इतना समर्थ भी नहीं हो पाता कि व्यवसाय के लिए अलग से जमीन खरीद पाए। स्थान की कमी को देखते हुए व्यावसायिक एवं रिहायशी गतिविधियों को एक ही परिसर में लोग अपनी सुविधा अनुसार संचालित करने लगते हैं तथा भूल जाते हैं कि इस तरह के परिसरों में वास्तु शास्त्र की दृष्टि से अतिरिक्त सावधानी रखने की आवश्यकता होती है। एक ही परिसर का व्यावसायिक एवं रिहायशी उपयोग वास्तु अनुरूप करना तभी संभव हो पाता है जब या तो परिसर का आकार अत्यधिक बड़ा हो या व्यावसायिक और रिहायशी कार्यों के लिए अलग-अलग मंजिल काम में ली जा रही हो या फिर भूखंड का आकार छोटा होने पर भी यदि भवन कई मंजिला हो तथा सभी मंजि़लों में समस्त गतिविधियां वास्तुनुरूप की जाएँ। आइये आज बात करते हैं बीकानेर की प्रसिद्ध सुनारों की गवाड़ की।

बीकानेर में सुनारों की गवाड़ और आसपास के क्षेत्र में निवास करने वाले सोनी परिवारों में से अधिकतर लोग घर में ही आभूषण निर्माण और विक्रय का कार्य करते हैं। वहाँ बहुत ही छोटे आकार के भूखंडों पर बने हुए घरों की सघन आबादी है। भूखंडों का आकार अत्यधिक छोटा होने तथा उसी परिसर में निवास और कार्यस्थल होने से दिशा विशेष के कम उपलब्ध व्याप क्षेत्र के कारण कई कार्य अन्य दिशा क्षेत्रों में करने पड़ते हैं तथा थोड़ी सी असावधानी से ही गंभीर वास्तु दोष उत्पन्न हो जाते हैं। भूखंडों की आकृति में अनपेक्षित विविधता भी वास्तु दोषों के प्रभाव को बढ़ाती है। वास्तु शास्त्र की दृष्टि से मालिक का शयनकक्ष दक्षिण अथवा दक्षिण पश्चिम में होना ठीक रहता है किंतु साथ ही आभूषणों के निर्माण इत्यादि के लिए भी यही दिशाएं सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं। छोटा परिवार होने पर या तो निवास किसी एक फ्लोर पर तथा व्यवसाय किसी अन्य फ्लोर पर किया जाता है या फिर उसी फ्लोर पर निवास के साथ-साथ व्यावसायिक गतिविधियां भी चलती रहती हैं। व्यवसाय की दृष्टि से ग्राहकों को अटेंड करने के लिए अलग स्थान तथा आभूषणों के निर्माण में कार्यरत कारीगरों को अलग स्थान की आवश्यकता होती है। वैसे भी कमरों का आकार छोटा होने के कारण उनमें अधिक लोग बैठकर कार्य नहीं कर पाते।

यदि घर एक मंजि़ला ही हो तथा पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख हो तो पिछले हिस्से में निवास करने पर तथा अगले हिस्से में आभूषण निर्माण कार्य करने से आर्थिक समस्याओं के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन में भी तनाव का सामना करना पड़ता है क्योंकि आभूषणों के निर्माण में अग्नि, रसायनों तथा छोटी-मोटी मशीनों और औजारों का उपयोग किया जाता है जबकि वास्तु के अनुसार पूर्व व उत्तर दिशाओं में ऐसा करना वर्जित है। ऐसे घरों में या तो पर्याप्त कमाई नहीं हो पाती अथवा कमाया हुआ धन बुरी आदतों की भेंट चढ़ जाता है। इसके विपरीत यदि घर दक्षिणाभिमुखी या पश्चिमभिमुखी हो तो पिछले हिस्से में निवास करने पर तथा अगले हिस्से में आभूषण निर्माण कार्य करने से आर्थिक दृष्टि से तो स्थिति सुदृढ़ हो जाती है परन्तु दाम्पत्य जीवन में तनाव बना रहता है क्योंकि मास्टर बेडरूम कभी भी उत्तर, पूर्व, ईशान, आग्नेय अथवा वायव्य दिशाओं में नहीं होना चाहिए। सावधानी से वास्तु नियमों का पालन करने से ऐसे घरों में रहने वाले लोग भी वैभव के साथ-2 जीवन में सुख और शांति का आनंद ले सकते हैं।

घर में ही व्यवसाय होने तथा व्यवसाय के लिए भी पर्याप्त स्थान की आवश्यकता होने के कारण लोग जाने अनजाने में ना तो पूर्णरूपेण व्यापारिक कार्य को वास्तुनुरूप कर पाते हैं ना ही निवास स्थान की सभी गतिविधियां वास्तु सम्मत हो पाती है। फलस्वरूप व्यावसायिक एवं पारिवारिक जीवन में अनेक विरोधाभास उत्पन्न हो जाते हैं। यदि परिवार में सदस्यों की संख्या सीमित हो व्यवसाय और आवास की व्यवस्था अलग-अलग फ्लोर पर वास्तु नियमों का पालन करते हुए करनी चाहिए। किसी कारण से ऐसा करना संभव नहीं हो तो इतना तो अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि शयनकक्ष आवंटन, व्यावसायिक कार्यालय तथा स्वर्ण आभूषणों के निर्माण का कार्य तो वास्तु सम्मत स्थानों पर ही हो। यदि व्यवसाय या आवास में से किसी एक को ही वास्तुनुरूप व्यवस्थित किया जाता है तो या तो व्यावसायिक सफलता मिलने पर भी घर में शांति को सुनिश्चित नहीं किया जा सकेगा या फिर उन्हें संतोष को ही परम धन मानकर काम चलाना पड़ेगा। व्यवसाय और निवास के वास्तु अनुरूप होने या ना होने से शुभ अथवा अशुभ परिणामों की मात्रा तदनुरूप अधिक हो जाती है।

व्यवसाय के लिए अत्यधिक अल्प स्थान उपलब्ध होने पर तथा उसमें से घर में आने जाने का रास्ता होने पर आप तैयार माल और कच्चे माल को निवास स्थान वाले भाग में भी उन स्थानों पर रख सकते हैं जहां उन्हें रखना वास्तुशास्त्र की दृष्टि से भी ठीक हो। स्वर्ण आभूषण व्यवसाय में कच्चे माल के कई प्रकार है यथा सोना, चांदी, मोती, हीरा, पन्ना, जस्ता, तांबा, नगीने या कीमती पत्थर इत्यादि। भारतीय वास्तु शास्त्र इन सभी के लिए अलग-अलग स्थानों का प्रावधान करता है। परिसर में कच्चे माल, तैयार माल माल और पैकिंग मैटेरियल को वास्तुसम्मत स्थानों पर रखने तथा उचित स्थान पर ही निर्माण व विक्रय करने के साथ-साथ उसी भवन निवास संबंधी गतिविधियां भी वास्तु के अनुसार हो तभी जीवन के सभी पक्षों का पूर्ण आनंद लेना संभव हो पता है।

घर में ही व्यवसाय करने वाले लोगों में से बहुत ही कम लोग इतनी प्रगति कर पाते हैं कि वे भविष्य में व्यावसायिक कार्य के लिए घर से अलग कारखाना, फैक्ट्री या शोरूम खोल पाएँ। आभूषण बनाने वालों के बारे में एक आम धारणा यह है कि वे तो बहुत कमाते हैं परंतु वास्तविकता यह है कि उनमें से अधिकांश लोग अपनी उम्र घर में ही काम करते हुए बिता देते हैं। वे या तो गृह वासियों की मानसिक शांति और स्वास्थ्य की कीमत पर धन कमाते हैं किंतु धन का अपेक्षित सदुपयोग नहीं कर पाते अथवा मेहनत से कमाया हुआ धन बीमारियों, बुरी आदतों, व्यवसाय में हानि या किन्हीं अन्य कारणों से निरंतर खोते रहते हैं अथवा हुनर एवं मेहनत के बावजूद अपेक्षित धन कमा ही नहीं पाते। घर की दिशा अभिमुखता कोई सी भी हो, घर में ही व्यवसाय प्रारंभ करने वाला व्यक्ति परिवार की निजता को बनाए रखते हुए कार्य करना चाहता है परंतु वास्तु शास्त्र के ज्ञान के अभाव में उम्र दोनों अथवा दोनों में से किसी एक मोर्चे पर संघर्ष करते हुए ही बीत जाती है।

आर के सुतार के इस आलेख को अथवा ऐसे ही अन्य खोज परक आलेखों को अंग्रेजी या अन्य भाषाओं में पढ़ने के लिए https://divyavastu.com/case_study पर क्लिक करें।

आर.के.सुतार प्रख्यात वास्तुशास्त्री हैं, जो अपने विषय को लेकर लगातार प्रयोगशील रहते हैं। वास्तु के साथ आधुनिक और पौराणिक शास्त्रों का अध्ययन आपको दूसरे वास्तु-विशेषज्ञों से विशिष्ट बनाता है।

संपर्क-9414230444

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