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Tuesday, October 17, 2023

सरू के कृषि विज्ञान केंद्र में मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण शिविर हुआ संपन्न, व्यवसाय के बारे में किसानों को बताय.. - दैनिक जागरण (Dainik Jagran)

संवाद सहयोगी, चनेड (चंबा)। कृषि विज्ञान केंद्र सरू (Agricultural Science Center Saru) में चल रहा सात दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण शिविर (Beekeeping Training Camp) संपन्न हो गया है। राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (National Bee Board) के सहयोग से आयोजित शिविर में जिले के विभिन्न क्षेत्रों से 25 किसानों ने भाग लिया। जिसमें किसानों को मधुमक्खी पालन संबंधी अहम जानकारी प्रदान की गई।

इसके साथ ही लाभ, उत्पादन से लेकर प्रबंधन, छत्ते के उत्पाद, उनका भंडारण और प्रसंस्करण, मधुमक्खियों के रोग और उनका व्यावहारिक प्रबंधन, जांच, गुणवत्ता नियंत्रण आदि विषयों की विस्तार से जानकारी दी गई।मधुमक्खी पालन शिविर के समापन पर किसानों को प्रशस्ति पत्र देने वाले डॉक्टर राजीव रैणा ने बताया की एक ट्रेनिंग कैप से ही सब कुछ नहीं हो सकेगा। आपको लगातार इस के साथ जुड़े रहना होगा।

मधुमक्खियों द्वारा हम पर्यावरण का कर सकते हैं संरक्षण

उन्होंने कहा कि मधुमक्खियों द्वारा हम पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं। शिविर में डॉक्टर यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय व फॉरेस्ट्री नौनी सोलन के विषय विशेषज्ञों डॉक्टर सुभाष वर्मा , डॉक्टर किरण राणा ,डॉक्टर मीना, डॉक्टर मंगला राम बैजया, डॉक्टर हरीश कुमार, डॉक्टर राकेश धरोच , डॉक्टर प्रियंका ठाकुर व डॉक्टर मोनिका ने मार्गदर्शन दिया।

मधुमक्खी पालकों के प्रश्नों के दिए गए उत्तर

सब ने किसानों व मधुमक्खी पालकों के प्रश्नों के उत्तर भी दिये। किसानों मधुमक्खी पालकों को बैंकों से किस प्रकार सहायता मिल सकती है, इस पर नाबार्ड चंबा के प्रभारी साहिल सवांगला ने मार्ग दर्शन दिया। उन्होंने बताया किस प्रकार सरकारी बैंक उनको सस्ते में ऋण उपलब्ध करवा सकते हैं। सभी किसानों मधुमक्खी पालकों को एक दिवसीय दौरा नगरोटा बगवां जिला कांगड़ा मधुमक्खी पालन केंद्र का दौरा करवाया। इस दौरे के दौरान यहां चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर सुरिंदर शर्मा जी का मार्गदर्शन मिला।

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उन्होंने कहा कि सब को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती, तो इसलिये आत्मनिर्भर बनने के लिये मधुमखीपालन एक उत्तम व्यवसाय है। जिसमें आप साल में लाखों रुपया कमा सकते हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं को बताया कि अब केवल शहद ही नहीं अपितु आधुनिक विज्ञान व तकनीक ने इसको बहुआयामी बना दिया है। शिवानी परमार ने सब लोगों को मधुमक्खी के जो बॉक्स रखे हैं उनके बारे में भी बताया गया। कुलदीप कुमार स्थानीय मधुमखी पालक ने भी प्रशिक्षण ले रहे लाभार्थियों से सीधा संवाद किया।

कम पूंजी में कर सकते हैं मधुमक्खी पालन का व्यवसाय

उन्होंने बताया कि हम कम पूंजी से ये काम शुरू कर सकते हैं। उन्होनें मिट्टी हैवज़ बनाने की भी जानकारी सांझा की। डॉक्टर राजीव रैणा प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र चंबा ने सब को उत्साहित व प्रोत्साहित करते हुए बताया कि अपने आपको आत्मनिर्भर बनाने का यह सही समय है। भारत सरकार की योजनाओं का लाभ लेने का समय है।

युवाओं को स्वेच्छा से आगे आना चाहिए और अपने ग्रुप बनाएं आपस में संवाद करें। एक दूसरे को आने वाली समस्याओं का निदान करें। डॉक्टर रैणा ने बताया चंबा में पारंपरिक तरीके से हर गांव में एक से तीन तक देसी मधुमक्खियों के छते लगाए जाने की परंपरा थी। जो अब सीमेंट कंक्रीट के घर बनने से विलुप्त होती जा रही है।

चंबा जिला के जंगलों में इस प्रकार के फूल होते थे जो मधुमखीपालन में बहुत सहायक हुआ करते थे। हम को अब आधुनिक तकनीक को अपना कर चंबा के शहद को फिर से आय का मुख्य साधन बनाने पर जोर देना होगा। हम इसको एक आंदोलन के रूप में चलाएंगे।सात दिनों के प्रशिक्षण के अंतिम दिन सभी को प्रशस्ती पत्र प्रदान किये गये।

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