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उन्होंने मछली पालन व्यवसाय को शुरू करने का मन बनाया। मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने उन्हें मछली पालन व्यवसाय के बारे जानकारी दी और बताया कि सरकार भी मछली पालन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करती है।रेशमा देवी वर्ष ने वर्ष 2018-19 में 600 वर्ग मीटर के छोटे यूनिट में मछली पालन का कार्य आरंभ किया। इस यूनिट से मछली का अच्छा उत्पादन हुआ। उन्होंने वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 1000 वर्ग मीटर में बायोफ्लॉक (तालाब) बनाया। जिसका खर्च 14 लाख रुपये खर्च आया, जिसमें 60 प्रतिशत यानी 8.40 लाख रुपये की राशि उपदान के रूप में मिली। रेशमा देवी ने बताया कि इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए उनके पति उनका पूरा सहयोग कर रहे हैं। गत वर्ष उन्होंने तालाब में कॉमन कार्प, मून कॉर्प, सिल्वर कॉर्प, मृगल कॉर्प और ग्रास कॉर्प का बीज डाला था जिससे उन्हें सात टन मछली का उत्पादन हुआ और अब तक 10 लाख रुपये की आय अर्जित की। रेशमा देवी के पति सुभाष चंद ने बताया कि वर्तमान में भी ट्राउट, कत्तला सहित कॉमन कार्प, मून कॉर्प, सिल्वर कॉर्प, मृगल कॉर्प और ग्रास कॉर्प का बीज डाला है। चार से छह माह के अंतराल में तालाब में डाली मछलियां लगभग 300 से 500 ग्राम वजन तक पहुंच चुकी हैं।
315 लोगों ने अपनाया मछली पालन व्यवसाय
सहायक निदेशक मत्स्य विवेक शर्मा ने बताया कि बायोफ्लॉक तालाब सघन मछली उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है। जबकि 1000 वर्ग मीटर के कच्चे तालाब में मुश्किल से केवल 10 क्विंटल तक मछली का उत्पादन किया जा सकता है, लेकिन बायोफ्लॉक तालाब से प्रतिवर्ष लगभग 10 टन मछली का उत्पादन किया जा सकता है। कुछ समय के उपरांत मछली उत्पादन के लिए प्रयोग में लाए जा रहे पानी को बदलना पड़ता है। पुराने पानी को किसान अपने खेतों में प्रयोग कर सकते हैं जोकि एक खाद का कार्य करता है। विवेक शर्मा ने बताया कि वर्तमान में ऊना से 315 किसान मछली पालन व्यवसाय से जुड़कर अच्छा लाभ लेने के साथ खेतों से भी अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं।
Una News: ठीक नहीं थी आर्थिक स्थिति, मछली पालन ने बना दिया लखपति - अमर उजाला
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