दिलीप कुमार सिंह, रामगढ़ : कोरोना संक्रमण काल ने देश ही नहीं पूरे विश्व को परेशान व हैरान कर दिया। बीते साल 2020 ने इसी माह देशवासियों को लाकडाउन का नजारा दिखाया। यह नजारा जिदगी और मौत के बीच का रास्ता ढूंढने वाला रहा। उसके बावजूद भी इंसान जिदगी को आगे बढ़ाने के लिए कई विकल्प कई चुनौतियों को पार करते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ने की ठान ली। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपने जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ाया और समाज के लिए प्रेरणा बन गए। लाकडाउन को देखते हुए पूरे देश में ट्रेनों के पहिए को थमने पर मजबूर कर दिया। ऐसे में बरकाकाना जंक्शन, रांची रोड स्टेशन, रामगढ़ कैंट स्टेशन आदि पर छोटे-मोटे व्यवसाय करने वाले वेंडर, ठेला संचालक, कैंटीन संचालक, कुली आदि का काम करने वाले लोगों ने जिदगी के इस पड़ाव में कई मोड़ देखा। ट्रेनों के पहिए थमते ही उन्होंने अपने जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए जीवन रूपी गाड़ी को बदलाव की राह पर लाया और नए व्यवसाय से जुड़ गए। आज सैकड़ों लोग स्टेशन से दूर रहकर बरकाकाना, रामगढ़, रांची रोड आदि स्टेशनों पर ठेला लगाकर, कोई सब्जी बेचकर, कोई होटल खोल कर तो कोई अन्य रोजगार तलाश कर अपने परिवार का भरण पोषण करने में जुट गया है। एक साल के उथल-पुथल भरे लाकडाउन में सभी दूसरे व्यवसाय से जुड़कर आज बेहतर कर रहे हैं और उन्हें तसल्ली है कि वह पहले से ज्यादा खुश हैं। अपना व्यवसाय करके और परिवार के साथ रहकर ऐसे कई लोग हैं जो अब स्टेशन में व्यवसाय नहीं करना चाह रहे हैं। उनका कहना है कि वह दूसरे व्यवसाय से जुड़कर काफी खुश हैं और व्यवसाय भी बेहतर चल रहा है। कोरोना काल ने उन्हें जीना सिखाया नहीं तो परिवार व अपनी जीवन चलाने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था । आखिर जाए तो जाए कहां क्या करें, क्या नहीं उसके बाद बदलाव की बयार जीवन में बही और आज सभी ठीक-ठाक से अपने जीवन को पटरी पर लाने में कामयाब हो रहे हैं। यह लॉकडाउन जीवन में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार कर दिया है। संघर्ष के रास्तों पर चलना जहां कठिन होता था उस पर चलना सिखा दिया। एक तरह से यह कहा जाए कि विपदा के नाम पर आए बदलाव ने लोगों को कई मुश्किलो और विपदाओं को झेलने की शक्ति भर दी। कहते हैं कि विनाश अपने साथ विकास का रास्ता भी लेकर आती है। तो इस लॉक डाउन ने भी वही किया। लोगों में गजब का बदलाव व जीने की जज्बातों को कूट-कूट कर भर दिया। लोग आज हुनरमंद भी हो गए हैं और अपनों के पास रहकर खुश भी हैं और अपना व्यवसाय कर आत्मनिर्भर भी हो रहे हैं यह बदलते भारत की बदलती तस्वीर है।
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ट्रेनों के पहिए थमे तो बदलाव की ओर मुड़ी जीवन की गाड़ी - दैनिक जागरण
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