संवाद सूत्र, चकराता:
कोरोना संक्रमण की पहले दौर के दंश से लोग अभी उभर भी नहीं पाए थे कि इसकी दूसरी लहर चलने से मुसीबत ज्यादा बढ़ गई। इसका प्रभाव सामान्य कामकाज के अलावा होटल-रिजॉर्ट व्यवसास से जुड़े स्थानीय कारोबारियों पर सबसे अधिक पड़ा है। पहाड़ में पर्यटन व्यवसाय पर निर्भर आर्थिकी को कोरोना से गहरी चोट पहुंची है, जिससे उभर पाने का रास्ता फिलहाल नजर नहीं आ रहा। पिछले दो साल से घाटे में चल रहे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े श्रमिकों के सामने रोटी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में उन्हें अपने घर-परिवार की आजीविका चलाने की चिता सता रही है। लंबे समय से खाली पड़े होटल-रिजॉर्ट में पूरी तरह सन्नाटा पसरा है। इससे होटल संचालकों को लाखों का नुकसान हुआ है।
जौनसार-बावर के कई रमणीक व पर्यटन स्थल प्रतिवर्ष सीजन में पर्यटकों की चहल-कदमी से गुलजार रहते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते यहां पर्यटन गतिविधियां पूरी तरह ठप पड़ गई। मार्च 2020 में कोरोना की पहली लहर चलने से पहाड़ में होटल व्यवसासियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि कुछ समय बाद हालात सामान्य होने से उनकी उम्मीद जाग उठी। सामान्य होते हालात के बीच इस बार देश-प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चलने से आमजन व होटल कारोबारी मुसीबत में आ गए। पहाड़ की प्राकृतिक खुबसूरती व लोक संस्कृति के लिए देश-दुनिया में विख्यात जौनसार-बावर के पर्यटन स्थल चकराता, टाइगर फॉल, लोखंडी-लोहारी, क्वांसी, ग्वासापुल, लाखामंडल, नागथात, साहिया, पुरोड़ी, कोरुवा, वैराटखाई, चुराणीडांडा, कोटी-कनासर, जाड़ी, त्यूणी व कथियान समेत आसपास के इलाकों में घूमने आए पर्यटकों की सुविधा को दर्जनों की संख्या में होटल, रिजॉर्ट व हट्स संचालित है। इसमें काफी संख्या में श्रमिक काम करते हैं। होटल-रिजॉर्ट से जुड़े संचालक व श्रमिकों की रोजी-रोटी पर्यटन व्यवसाय से चलती है। कोरोना महामारी के इस दौर में जौनसार-बावर का पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह चौपट हो गया। प्रभावितों में चकराता के होटल स्वामी विवेक अग्रवाल, बिट्टू चौहान, लोखंडी के रोहन राणा, शूरवीर सिंह चौहान, लाखामंडल के बाबूराम शर्मा, त्यूणी के राजपाल सिंह राणा, रमेश चौहान, कथियान में होम स्टे संचालक फतेह सिंह चौहान व कोरुवा में रिजॉर्ट संचालक राष्ट्रीय निशानेबाज पंकज चौहान आदि ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते उनका कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया। पर्यटन व्यवसाय ठप पड़ने से वह स्टाफ कर्मियों को पिछले दो साल से बिना कामकाज के अपने पास से वेतन भुगतान कर रहे हैं। कोरोना से लगातार चल रहे घाटे के कारण अब वह स्टाफ कर्मियों को वेतन देने की स्थिति में नहीं है। लाखों का नुकसान झेल रहे होटल-रिजॉर्ट संचालकों के सामने बिजली-पानी के हजारों रुपये बकाया बिल चुकाने की समस्या खड़ी हो गई। कहा कि जौनसार-बावर में प्रतिवर्ष मार्च से जून के बीच चार महीनों तक मुख्य सीजन रहता है। इसके अलावा आठ माह कामकाज सामान्य रहता है। सीजन में बड़ी संख्या में पर्यटकों की आवाजाही से पर्यटन व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी चलती है। ऐसे में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चलने से वह मुसीबत में आ गए। इस संकट से बाहर निकलने का कोई रास्ता उन्हें नजर नहीं आ रहा।
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कोरोना से पर्यटन व्यवसाय चौपट, रोजी-रोटी का संकट - दैनिक जागरण
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