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Tuesday, May 18, 2021

लॉकडाउन में कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवारों की समस्याएं गहरायीं - newswing

Ranchi : लॉकडाउन के कारण कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े झारखंड के तकरीबन तीन लाख लोगों के समक्ष आजीविका की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गयी है. वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के दौरान कैटरिंग पेशे से जुड़े विशेषकर मजदूर, कारीगर, वेटर आदि रोजी-रोटी के लिए अन्य विकल्प की तलाश में इधर -उधर भटक रहे हैं.

इस संबंध में झारखंड कैटरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल कुमार अग्रवाल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सशर्त शादी-ब्याह व अन्य कार्यक्रमों पर प्रतिबंध होने की वजह से कैटरिंग व्यवसाय पर काफी बुरा असर पड़ रहा है.

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उन्होंने कहा कि सरकार यदि कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों की समस्याओं के समाधान के प्रति जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है, तो इनकी परेशानियां और अधिक बढ़ेंगी व रोजी-रोटी का संकट भी गहरा जायेगा.

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वहीं, झारखंड कैटरिंग एसोसिएशन के महासचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि पिछले तकरीबन एक वर्ष से कोरोना संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान कैटरिंग व्यवसाय लगभग ठप पड़ गया है. सरकार की ओर से विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों के कारण इस व्यवसाय पर विपरीत असर पड़ रहा है.

श्री सिंह ने कहा कि कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े झारखंड के लगभग तीन लाख से अधिक लोगों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है. सरकार की ओर से यदि इस पेशे से जुड़े लोगों और परिवारों की समस्याओं के समाधान की दिशा में अविलंब आवश्यक कदम नहीं उठाया गया, तो इतने लोगों के समक्ष रोजी-रोटी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जायेगी.

उन्होंने बताया कि कैटरिंग व्यवसाय का धंधा लगभग ठप हो जाने से अधिकतर मजदूर व कारीगर जीविकोपार्जन के लिए अन्य रोजगार की तलाश में जुट गये हैं.

इस संबंध में झारखंड कैटरिंग एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता राहुल कुमार कश्यप ने बताया कि सिर्फ राजधानी रांची में छोटे-बड़े मिला कर लगभग डेढ़ हजार से अधिक कैटरर्स हैं.

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प्रत्येक के साथ प्रत्यक्ष रूप से तकरीबन 10 से 15 मजदूर/कारीगर जुड़े हुए हैं. इस प्रकार लगभग 15 हजार मजदूर व कारीगर के परिवार में चार व्यक्ति को ही माना जाये, तो 60 हजार लोग सिर्फ राजधानी रांची में सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं.

उन्होंने बताया कि कैटरर्स के पेशे में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मजदूर, कारीगर, ग्रॉसरी शॉप, वेटर सर्विस, टेंट, फूल माला, लाइट-बत्ती, बैंड-बाजा, शहनाई, डीजे, ऑर्केस्ट्रा आदि भी जुड़े हैं. लॉकडाउन की वजह से इन सभी का व्यवसाय ठप है.

उन्होंने बताया कि शादी-ब्याह के लगन और सीजन के समय सिर्फ राजधानी रांची में एक सौ करोड़ से ऊपर का व्यवसाय होता है. वहीं, पूरे झारखंड में लगभग तीन सौ करोड़ से ऊपर का व्यवसाय लगन के समय या सीजन में होता है. विगत लगभग एक साल से यह व्यवसाय लॉकडाउन के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े तकरीबन तीन लाख से अधिक लोग पिछले एक वर्ष से रोजी-रोटी की समस्या से जूझ रहे हैं. इनमें से अधिकतर लोगों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.

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श्री कश्यप ने कहा कि एक ओर लॉकडाउन में कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े लोग अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, उनका व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, वहीं, दूसरी तरफ राज्य सरकार ने तुगलकी फरमान जारी कर शादी-ब्याह में मात्र 11 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी है, यह राज्य सरकार की अदूरदर्शिता का परिचायक है. इसमें कौन-कौन होंगे, यह स्पष्ट नहीं किया गया है.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने राज्य सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जायेगा कि झारखंड कैटरिंग एसोसिएशन को किसी बड़े और नामी-गिरामी नेताओं का संरक्षण प्राप्त नहीं है, अन्यथा स्थितियां कुछ और होतीं.

श्री कश्यप ने कहा कि एक ओर सरकार ने बाजार व सब्जी मंडी खोलने की अनुमति दी है. ढाबा और रेस्टोरेंट को भी लॉकडाउन के दौरान कुछ छूट दी गयी है. वहीं, कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है.

उन्होंने कहा कि कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों को भी ई-पास की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में राज्य सरकार को अविलंब निर्णय लेना चाहिए, ताकि इस व्यवसाय से जुड़े लोग विषम परिस्थितियों में अपनी आजीविका चला सकें.

उन्होंने कहा कि यदि इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की सरकार सुधि नहीं लेती है, तो तीन लाख से ऊपर लोगों के समक्ष जीविकोपार्जन की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जायेगी.

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