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जम्मू। इस साल भी प्रतिष्ठित अमरनाथ यात्रा के रद्द होने के कारण जम्मू-कश्मीर के तीर्थ पर्यटन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इस यात्रा से जुड़े व्यापारी, टूर एंड ट्रैवल, ट्रांसपोर्ट, ड्राई फ्रूट आदि व्यवसाय से होने वाली करीब 200 करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। इस यात्रा से जुड़े लोग यात्रा के रद्द करने के फैसले को जल्दबाजी मान रहे हैं। उनका कहना है कि अगर कोविड के बीच श्री माता वैष्णो देवी सहित देश के अन्य प्रमुख तीर्थ स्थलों पर यात्राएं हो रही हैं, तो कोविड प्रोटोकाल के तहत सीमित अमरनाथ यात्रा भी करवाई जा सकती है।
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चैंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू के प्रधान अरुण गुप्ता का कहना है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान आने वाले प्रत्येक यात्री का न्यूनतम खर्चा 3000-4000 रुपये होता है। पिछले कई साल से यात्रा 2 से 3 लाख यात्रियों की हो रही है। इसमें यात्री जरूरी खर्च के साथ जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाने का काम करते हैं। अगर प्रदेश प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से यात्रा को रद्द किया है तो व्यापारी वर्ग इसका समर्थन करता है, लेकिन अगर यात्रा कोविड के कारण रद्द की गई है तो इसमें कोई तुक नहीं बनता है, क्योंकि जब वैष्णो देवी और अन्य यात्राएं करवाई जा सकती हैं तो अमरनाथ यात्रा को भी करवाया जाना चाहिए था।
आल जम्मू होटल एंड लगेज एसोसिएशन के प्रधान पवन गुप्ता का कहना है कि अमरनाथ यात्रा को रद्द करने का फैसला जल्दबाजी है। प्रशासन को कोविड स्थिति की भविष्य में समीक्षा करके उचित फैसला लेना चाहिए था। प्रदेश में वर्तमान में कोविड संक्रमण को नियंत्रण में करने में सफलता मिली है। बालटाल ट्रैक को तैयार कर लिया गया था। इसमें प्रतिदिन यात्रियों की सीमित संख्या में यात्रा को करवाया जा सकता है। कोविड प्रोटोकॉल को सुनिश्चित बनाने के लिए वैक्सीन लेने वाले यात्रियों को अनुमति दी जानी चाहिए थी, लेकिन पहले से ही वेंटिलेटर पर चल रहे होटल उद्योग को यात्रा के रद्द होने से भारी मायूसी हुई है। जम्मू शहर में ही करीब 350 होटलों का व्यवसाय इस यात्रा पर निर्भर करता है। होटल व्यवसायी साल भर इस यात्रा का इंतजार करते हैं। पहले से ही कोविड की मार झेल रहे होटल व्यवसाय को यह बड़ा झटका लगा है।
ट्रेडर्स फेडरेशन वेयर हाउस नेहरू मार्केट जम्मू के प्रधान दीपक गुप्ता का कहना है कि अमरनाथ यात्रा को सीमित करवाया जा सकता है। श्राइन बोर्ड को अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए। लखनपुर से लेकर कश्मीर तक का व्यापारी वर्ग अमरनाथ यात्रा से जुड़ा होता है। इसमें होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे सहित अन्य व्यापारी वर्ग को यात्रा से लाभ होता है। जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
टूर एंड ट्रैवल एसोसिएशन जम्मू के प्रधान आशुतोष गुप्ता का कहना है कि जम्मू संभाग में ही करीब 80 हजार लोग टूर एंड ट्रैवल व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और साल भर उन्हें अमरनाथ यात्रा का इंतजार रहता है, लेकिन यात्रा रद्द होने से हजारों परिवार प्रभावित हुए हैं। पहले से ही कोविड के कारण टूर एंड ट्रैवल व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और अब यात्रा रद्द होने से उन्हें भारी निराशा हुई है। इन हालात में कई टूर एंड ट्रैवल वालों ने अपना व्यवसाय बदल दिया है।
कब कब कितनी रही यात्रा
वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के दौरान 1 अगस्त को अचानक अमरनाथ यात्रा को बीच में ही रोक दिया गया था, जिसके बाद वर्ष 2020 और 2021 में कोविड के कारण यात्रा को रद्द किया गया है।
चैंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू के प्रधान अरुण गुप्ता का कहना है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान आने वाले प्रत्येक यात्री का न्यूनतम खर्चा 3000-4000 रुपये होता है। पिछले कई साल से यात्रा 2 से 3 लाख यात्रियों की हो रही है। इसमें यात्री जरूरी खर्च के साथ जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाने का काम करते हैं। अगर प्रदेश प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से यात्रा को रद्द किया है तो व्यापारी वर्ग इसका समर्थन करता है, लेकिन अगर यात्रा कोविड के कारण रद्द की गई है तो इसमें कोई तुक नहीं बनता है, क्योंकि जब वैष्णो देवी और अन्य यात्राएं करवाई जा सकती हैं तो अमरनाथ यात्रा को भी करवाया जाना चाहिए था।
आल जम्मू होटल एंड लगेज एसोसिएशन के प्रधान पवन गुप्ता का कहना है कि अमरनाथ यात्रा को रद्द करने का फैसला जल्दबाजी है। प्रशासन को कोविड स्थिति की भविष्य में समीक्षा करके उचित फैसला लेना चाहिए था। प्रदेश में वर्तमान में कोविड संक्रमण को नियंत्रण में करने में सफलता मिली है। बालटाल ट्रैक को तैयार कर लिया गया था। इसमें प्रतिदिन यात्रियों की सीमित संख्या में यात्रा को करवाया जा सकता है। कोविड प्रोटोकॉल को सुनिश्चित बनाने के लिए वैक्सीन लेने वाले यात्रियों को अनुमति दी जानी चाहिए थी, लेकिन पहले से ही वेंटिलेटर पर चल रहे होटल उद्योग को यात्रा के रद्द होने से भारी मायूसी हुई है। जम्मू शहर में ही करीब 350 होटलों का व्यवसाय इस यात्रा पर निर्भर करता है। होटल व्यवसायी साल भर इस यात्रा का इंतजार करते हैं। पहले से ही कोविड की मार झेल रहे होटल व्यवसाय को यह बड़ा झटका लगा है।
ट्रेडर्स फेडरेशन वेयर हाउस नेहरू मार्केट जम्मू के प्रधान दीपक गुप्ता का कहना है कि अमरनाथ यात्रा को सीमित करवाया जा सकता है। श्राइन बोर्ड को अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए। लखनपुर से लेकर कश्मीर तक का व्यापारी वर्ग अमरनाथ यात्रा से जुड़ा होता है। इसमें होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे सहित अन्य व्यापारी वर्ग को यात्रा से लाभ होता है। जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
टूर एंड ट्रैवल एसोसिएशन जम्मू के प्रधान आशुतोष गुप्ता का कहना है कि जम्मू संभाग में ही करीब 80 हजार लोग टूर एंड ट्रैवल व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और साल भर उन्हें अमरनाथ यात्रा का इंतजार रहता है, लेकिन यात्रा रद्द होने से हजारों परिवार प्रभावित हुए हैं। पहले से ही कोविड के कारण टूर एंड ट्रैवल व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और अब यात्रा रद्द होने से उन्हें भारी निराशा हुई है। इन हालात में कई टूर एंड ट्रैवल वालों ने अपना व्यवसाय बदल दिया है।
कब कब कितनी रही यात्रा
वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के दौरान 1 अगस्त को अचानक अमरनाथ यात्रा को बीच में ही रोक दिया गया था, जिसके बाद वर्ष 2020 और 2021 में कोविड के कारण यात्रा को रद्द किया गया है।
अमरनाथ यात्रा रद्द होने से फिर पटरी से उतरेगा कारोबार - अमर उजाला - Amar Ujala
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