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जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम 2020 के मसौदे को उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा जारी करने का स्वागत किया है। करते हुए कहा है कैट के पदाधिकारियों का कहना है कि इससे भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय के संचालन के तौर-तरीकों और मापदंडों को बहुत स्पष्ट शब्दों में बताया गया है। इससे अब विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नियमों के साथ खेलने की कोई गुंजाइश नही बची है जैसा कि वे पिछले कई सालों से कर रहे थे। कैट ने कहा कि जब ये नियम लागू होंगे तो निश्चित रूप से विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियों के अनैतिक और अतार्किक व्यवसाय प्रथाओं के कारण भारत के अत्यधिक दूषित ई-कॉमर्स व्यवसाय को शुद्ध और एक समान करने का अवसर प्राप्त होगा। कैट ने कहा कि केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ई-कॉमर्स के शुद्धिकरण के लिए कैट की मांग को स्वीकार किया है। संयोग से कैट 14 जून से देश भर में "ई-कॉमर्स शुद्धिकरण" सप्ताह मना रहा था, जो 22 जून को समाप्त हो गया और मंगलवार को ही यह नियम जारी हुए।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने नियमों मसौदे के जारी होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। कहा कि ये नियम लागू होते ही भारत का ई-कॉमर्स व्यापार पूरी तरह बदल जाएगा। उन्होंने कहा की यह संतोष की बात है कि पीयूष गोयल ने छोटे व्यापारियों को हो रही कठिनाइयों को महसूस करते हुए अपने वायदे और उनके द्वारा की गई घोषणाओं के अनुसरण में नियमों का मसौदा तैयार किया है जिससे प्रत्येक कंपनी, फिर चाहे वो देसी हो या विदेशी, उसको देश के नियमों और विनियमों का पालन करना अनिवार्य हो जायेगा। इन नियमों के लागू होने से अब देश का प्रत्येक छोटा व्यापारी भी ई-कॉमर्स को अतिरिक्त व्यवसाय के रूप में अपना सकेगा। हम उम्मीद करते हैं कि अब हर कोई नियमों का पालन करने के लिए आगे आएगा जिससे भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय कई गुना बढ़ जाएगा। इसके अतिरिक्त यह नियम भारत के ई-कॉमर्स को कुछ विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियों के शातिर चंगुल से मुक्त करेंगे। जो भारत के ई-कॉमर्स व्यवसाय पर हावी होने का निरंतर प्रयास करते रहे है।
सोन्थालिया ने कहा कि ये नियम उन सभी प्रकार के ई-कॉमर्स व्यवसायों पर लागू होंगे जिसमें ई-सिस्टम के द्वारा सामान की डिलीवरी होती है या सेवाएं दी जाती हैं। डीपीआईआईटी से ई-कॉमर्स संस्थाओं द्वारा पंजीकरण प्राप्त करने का अनिवार्य प्रावधान भारत के ई कॉमर्स व्यवसाय में कूदने वाली फ़र्ज़ी कंपनियों पर अंकुश लगाएगा और अब ये जानकारी रहेगी कि ई-कॉमर्स क्षेत्र में कितनी कंपनियां काम कर रही हैं और उनके व्यवसाय का पैमाना क्या है। ई कॉमर्स के द्वारा व्यावसायिक गतिविधियों के शुरू करने से पहले प्रत्येक ई-कॉमर्स इकाई को अपने बारे में सारी जानकारी देनी होगी। जिससे अनैतिक कंपनियों की पहचान करने में काफी हद तक मदद मिलेगी और कर चोरी की संभावना कम हो जाएगी। भ्रामक या भ्रामक विज्ञापनों के प्रदर्शन या प्रचार पर प्रतिबंध निश्चित रूप से भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय के बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत करेगा।
कैट ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान के रूप में मार्केट प्लेस से संबंधित किसी भी प्रकार की ईकाई द्वारा मार्केटप्लेस पर माल की बिक्री पर रोक लगाने से संबंधित है और यह प्रावधान एक गेम चेंजर होगा। अब तक वैश्विक ई-कॉमर्स कंपनियां अपने पसंदीदा विक्रेताओं के माध्यम से बिक्री को नियंत्रित कर रही थीं। इस प्रावधान के बाद अब पसंदीदा विक्रेता को तरजीह देने की संभावना बहुत कम हो जाएगी। हालांकि उन्होंने कहा कि 5 प्रतिशत या 10 प्रतिशत लाभकारी स्वामित्व वाले उद्यमों के प्रावधान को शून्य कर दिया जाना चाहिए। नही टी वैश्विक बड़ी कंपनियां चालाकी से फिर नियमों से बचने के रास्ते ढूंढेगी। पहली बार मार्केटप्लेस में विक्रेताओं के कर्तव्यों का भी वर्णन किया गया है जो ई कॉमर्स व्यापार को और अधिक मजबूत बनाएगा। सोन्थालिया ने यह भी कहा कि इन नियमों में मार्केटप्लेस पर पंजीकृत सभी विक्रेताओं का पूर्ण विवरण तथा माल की कंट्री ऑफ ओरिजिन सहित पोर्टल पर प्रदर्शित करना अनिवार्य होने से ई कॉमर्स व्यापार सही और एक नैतिक प्लेटफार्म बनेगा। जिसमें उपभोक्ताओं का विशवास बढ़ेगा। इस प्रावधान से उपभोक्ताओं को पता चल जाएगा कि उन्होंने किससे सामग्री खरीदी है। इसी तरह, इन्वेंट्री ई-कॉमर्स संस्थाओं के कर्तव्यों और देनदारियों के लिए प्रत्येक हितधारक को जवाबदेह बनाया जाएगा, जो इन नियमों की एक अनूठी विशेषता होगी। कुल मिलकर नियम देश के ई कॉमर्स व्यापार को समृद्ध करेंगे।
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