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अम्बेडकरनगर। कोरोना से किसी की नौकरी चली गई। किसी का व्यवसाय चौपट हो गया। किसी की दुकान बंद हो गई। अनगिनत लोग बेरोजगार भी गए। रही सही कसर कोरोना कफ्र्यू ने पूरी कर दी। दुकानें बंद रहने से दुकानदारों के समझ जीविकोपार्जन का नया संकट पैदा हो गया। इसके चलते कोरोना संकट के दौरान खाद्य पदार्थों की दुकान कर लोगों ने जीविकोपार्जन का माध्यम बनाया।
अकबरपुर कोतवाली के ठीक सामने फूल चंद वर्मा अरसा पहले से कॉस्मेटिक की दुकान हुआ करते थे। कोरोना काल में जब उनकी कॉस्मेटिक, कॉपी-किताब और घरेलू सामानों की दुकान बंद हो गई तो उन्होंने अपनी दुकान के सामने पहले फल की और फिर सब्जी की दुकान कर ली। फल और सब्जी की दुकान से स्वयं को बेरोजगार होने से बचाए फूलचंद वर्मा ने अब अनलॉक में भी पहली वाली दुकान के साथ फल-सब्जी की दुकान कर रहे है। कोरोना कफ्र्यू के दौरान फल-सब्जी की दुकान से पुलिस भी उन्हें डिस्टर्ब नहीं करती थी। कॉस्मेटिक की दुकान के ठीक सामने सब्जी लगाना शुरू किए फूलचंद वर्मा की आय तो विशेष नहीं बढ़ी लेकिन उनके जीविकोपार्जन का माध्यम अवश्य बन गई। अब कॉस्मेटिक के व्यवसाई फूलचंद वर्मा फल और सब्जी के भी विक्रेता हो चुके हैं।
खाद्य पदार्थों की दुकान का लाइसेंस बनवाने की होड़
फूलचंद वर्मा की तरह ऐसे अनगिनत लोग हैं जिन्होंने कोरोना काल में आर्थिक स्थिति से निपटने के लिए खाने-पीने के सामानों की बिक्री करने का व्यवसाय चुन लिया। इस दौरान संबंधित खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग में लाइसेंस बनवाने वालों की भी मारामारी हो गई है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि जितना अब आवेदन हुआ था उतना आवेदन कभी नहीं हुआ था। खाद्य विभाग को तीन माह में ऑनलाइन 64 आवेदन हुए हैं।
कॉस्मेटिक के व्यवसाय को छोड़ बेचना शुरू कर दी सब्जियां - Hindustan हिंदी
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