पीलीभीत,जेएनएन: कोविड महामारी की पहली लहर का दंश झेलने के बाद दूसरी लहर के प्रकोप से लड़खड़ाया बुनकरों का धंधा अब पटरी पर लौटने लगा है। मुरझाए चेहरों पर खुशी दिखने लगी है। महामारी का प्रकोप कम होते ही तैयार माल की मांग भी बढ़ गई है।
विकासखंड क्षेत्र के ग्राम मीरपुर वाहनपुर में 100 से अधिक परिवार दरी बुनाई का कार्य कर रहे हैं। पूरे गांव में तीन दर्जन से अधिक दरी बुनाई के अड्डे चल रहे हैं। जिन पर फर्श की दरी, पूजा घर में बिछाने वाली दरी व सोफा तथा बिस्तर पर बिछाने वाली दरियों तथा कालीन की बुनाई का कार्य होता है। कोविड-19 महामारी की पहली लहराने में धंधे पर गर्दिश के बादल छा गए थे। जिससे दरी बुनाई के अधिकांश अड्डे बंद हो गए थे। इस धंधे से जुड़े मजदूरों ने बुनाई का कार्य छोड़ कर अन्य धंधों को करना शुरू कर दिया था। कोविड की दूसरी लहर आने पर यह धंधा पुन: लड़खड़ाने लगा। जिससे बुनकरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या पैदा हो गई। महामारी का प्रकोप कम होने से धंधा पुन: चलने लगा है। बंद हुए दरी बुनाई के अड्डे पुन: शुरू हो गए हैं। बुनकरों ने दरी बुनाई का काम शुरू कर दिया है। बुनाई का आर्डर देने वाले ठेकेदारों ने तैयार माल खरीदना शुरू कर दिया है। बुनकरों की ओर से तैयार किया गया माल पानीपत को जाता है। दरी बुनाई का अड्डा चलाने वाले गौहर अली अंसारी बताते हैं कि अब तैयार माल की डिमांड बढ़ गई है। इसलिए माल बिक्री करने में कोई परेशानी नहीं हो रही है। धंधे के पटरी पर आने से बुनकर भी खुश है। इस धंधे से बुनकर 250 से 500 रुपये प्रतिदिन कमा लेते हैं। हालांकि सरकार की ओर से बुनकरों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए अभी कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। एसडीएम राकेश कुमार गुप्ता का कहना है कि बुनकरों को सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ दिलाएंगे। दरी बुनाई व कारचोबी का कार्य गांव की महिलाएं भी कर रही है।
गांव में दरी बुनाई का धंधा अब पूर्व की भांति चलने लगा है। इस धंधे में 300 से 500 रुपये प्रतिदिन मजबूरी हो जाती है। जिससे परिवार का गुजारा आसानी से हो रहा है।
मोहम्मद नईम हमारे गांव में रहने वाले बुनकरों को सरकार की ओर से चल रही योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अधिकारियों को गांव के बुनकरों का पंजीकरण कराकर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने चाहिए।
लतीफ दरी बुनाई का धंधा अब सही तरीके से चल रहा है। गांव के जो दरी के अड्डे बंद हो गए थे, अब वह चालू हो गए हैं। दूसरे कामों में लगे बुनकरों ने अपना पुन: दरी बुनाई का धंधा करना शुरू कर दिया है।
सर्वेश कुमार
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फिर से पटरी पर लौटा बुनकरों का व्यवसाय - दैनिक जागरण
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