पीलीभीत,जेएनएन : कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर काबू में आने के बाद आंशिक कोरोना कर्फ्यू में छूट बढ़ जाने से स्ट्रीट वेंडरों का व्यवसाय पटरी पर आने लगा है। दूसरी ओर रेलवे स्टेशन चौराहा के आसपास का बाजार अभी मंदी से नहीं उबर सका। क्योंकि कुछ ही ट्रेनों का संचालन हो रहा । उसमें भी यात्रियों की संख्या काफी कम रहती है। स्टेशन चौराहा का कारोबार एक साल से अधिक समय से प्रभावित हो रहा है।
शहर में विभिन्न मार्गों पर कई दर्जन वेंडर अपने स्टाल लगाते हैं। गोलगप्पा, आलू की टिक्की, समोसा समेत खानपान की वस्तुएं सड़क किनारे स्टाल लगाकर स्ट्रीट वेंडर अपने परिवारों का पालन पोषण करते हैं। कोरोना संक्रमण काल में इनका व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया था। बाद में जब कुछ छूट मिली तो बाजार बंदी का समय शाम सात बजे कर दिया गया जबकि स्ट्रीट वेंडरों का तो व्यवसाय शाम के समय ही शुरू होता है। शहर में घूमने-फिरने निकलते हैं, तो स्ट्रीट फूड्स की मांग बढ़ती है। बाद में जब बाजार बंद करने का समय आठ बजे हुआ तो स्ट्रीट वेंडरों को कुछ राहत मिली। अब रात दस बजे तक की छूट मिल जाने से स्ट्रीट वेंडरों के कारोबार में चमक आने लगी है। अप्रैल और मई के महीने में इन वेंडरों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा, परन्तु अब आमदनी होने लगी है। दूसरी ओर रेलवे स्टेशन चौराहा के आसपास स्थित बाजार की मंदी अभी तक दूर नहीं हुई। ट्रेनें सीमित संख्या में चल रहीं। उनमें भी यात्री कम रहते हैं। ऐसे में दुकानदारी नाममात्र की रह गई है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया था। परिवार का खर्च पूरा करने में समस्या आ रही थी लेकिन अब धीरे धीरे व्यवसाय पटरी पर आ रहा है।
मनोज कुमार जब शाम सात बजे तक ही स्टाल लगाने की अनुमति रही, तो उसका कोई फायदा नहीं मिल सका। अब रात दस बजे तक का समय दे दिया गया है। इससे व्यवसाय सुचारू होने की उम्मीद है।
रजत वर्मा कोरोना जैसी महामारी के दौरान छोटे छोटे व्यवसाय करने वालों को बड़ी मुश्किलों के दौर से गुजरना पड़ा है। अब रात दस बजे तक बाजार खुलने की अनुमति मिलने से राहत महसूस कर रहा।
राकेश कुमार छोटा सा व्यवसाय है, उस पर भी कोरोना ने सब चौपट कर दिया था। गनीमत है कि अब संक्रमण काबू में आ जाने से रात दस बजे तक दुकान खोलने की अनुमति मिलने से राहत है।
गंगा सिंह सवा साल होने जा रहा है। रेलवे स्टेशन चौराहा का बाजार मंदी का शिकार है। गिनी चुनी ट्रेनें चल रही हैं। उनमें भी कम ही लोग सफर करते हैं। ऐसे में दुकानदारी नाममात्र रह गई है।
वासु कश्यप रेस्टोरेंट चलाना मुश्किल हो रहा है। कोरोना से पहले सभी ट्रेनें चल रही थीं, तब ग्राहकों का आवागमन बना रहता है। अब ग्राहक के इंतजार में घंटों खाली बैठे रहना पड़ रहा है।
आदेश जायसवाल सुबह, दोपहर और शाम की ट्रेनों का संचालन जब तक पहले की भांति शुरू नहीं हो जाएगा, तब तक यहां मंदी के हालात बने रहेंगे। साल भर से कारोबार लगभग चौपट है, आगे उम्मीदें हैं।
धीरज कुमार पहले जब ट्रेन आती थी, तो फल खरीदने के लिए यात्री उमड़ने लगते थे। अब ऐसा नहीं है। इक्का दुक्का ग्राहक आते रहते हैं। उन्हीं के माध्यम से जो बिक्री होती है, उसी से काम चल रहा।
जीवन लाल
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पटरी पर लौटा स्ट्रीट वेंडरों का व्यवसाय - दैनिक जागरण
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