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ददाहू (सिरमौर)। कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप थमने के बाद भी खनन व्यवसाय पटरी पर लौट नहीं पाया है। 16 माह के दौरान जिले के खनन कारोबारियों को दोहरी मार झेलनी पड़ी है। एक ओर जहां पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से खर्च बढ़ गया है। वहीं, चूना पत्थर के दामों में भी भारी कमी आई है। दाम और खपत बढ़ने की बजाय घटती ही जा रही है। पड़ोसी राज्यों में चूना पत्थर की खपत कम होने के साथ ही दाम 1800 रुपये घटकर 1200 रुपये प्रति टन पर ही सिमट गए हैं। इससे खर्चे चला पाना भी खनन कारोबारियों को मुश्किल हो गया है।
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कारोबारियों का पैसा भी उद्योगपतियों के पास फंसा हुआ है। इससे खान व्यवसायों को अपना कारोबार चलाना अब नामुमकिन साबित हो रहा है। जिले के रेणुका क्षेत्र में आधा दर्जन के करीब चूना पत्थर की खदानें और मुर्गी दाने की दर्जन भर फैक्ट्रियां संचालित हैं, जिनके मालिक इन दिनों भारी मंदी की मार झेल रहे हैं।
खर्चों के बोझ तले दबते जा रहे हैं व्यवसायी
रेणुका खान मालिक संघ के अध्यक्ष सुप्रियांक वालिया ने बताया कि खनन व्यवसायी भारी भरकम खर्चों के बोझ के तले दबते जा रहे हैं। इससे व्यवसाय चलाना मुश्किल होता जा रहा है। बावजूद रोजगार को ध्यान में रखते हुए खनन व्यवसायी अपना कारोबार जारी रखे हुए हैं।
माल के दाम गिरे, डीजल-पेट्रोल के बढ़े
खनन मालिक शेर सिंह नेगी ने बताया कि खान मालिक दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तरफ जहां माल के दामों में भारी गिरावट आई है। वहीं, डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ने से खर्चे कई गुणा अधिक हो गए हैं। इससे व्यवसाय चलाना अब घाटे का सबब बनता जा रहा है।
मंदी की मार से नहीं उभर पाए खनन व्यावसायी
खनन अभियंता डीके सिन्हा ने बताया कि कोरोना का सर्वाधिक प्रभाव खनन व्यवसायियों पर ही पड़ा है। इ कारण खान मालिकों के लिए अपना कारोबार समेटने तक की नौबत आ गई है। खनन व्यवसायी मंदी की मार से उभर नहीं पाए हैं। कारोबार चलाना मुश्किल हो गया है।
खर्चे प्रतिदिन बढ़ रहे, दाम निरंतर घट रहे
खनन व्यवसायी रविंदर यादव ने बताया कि चूना पत्थर के कारोबार को अब घाटे में चलाने पर विवश होना पड़ रहा है। महंगाई के दौर में खर्चे चला पाना कठिन हो गया है। खर्चे दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं और दाम निरंतर गिर रहे हैं। खान मालिकों को व्यवसाय बंद करना पड़ रहा है।
कारोबारियों का पैसा भी उद्योगपतियों के पास फंसा हुआ है। इससे खान व्यवसायों को अपना कारोबार चलाना अब नामुमकिन साबित हो रहा है। जिले के रेणुका क्षेत्र में आधा दर्जन के करीब चूना पत्थर की खदानें और मुर्गी दाने की दर्जन भर फैक्ट्रियां संचालित हैं, जिनके मालिक इन दिनों भारी मंदी की मार झेल रहे हैं।
खर्चों के बोझ तले दबते जा रहे हैं व्यवसायी
रेणुका खान मालिक संघ के अध्यक्ष सुप्रियांक वालिया ने बताया कि खनन व्यवसायी भारी भरकम खर्चों के बोझ के तले दबते जा रहे हैं। इससे व्यवसाय चलाना मुश्किल होता जा रहा है। बावजूद रोजगार को ध्यान में रखते हुए खनन व्यवसायी अपना कारोबार जारी रखे हुए हैं।
माल के दाम गिरे, डीजल-पेट्रोल के बढ़े
खनन मालिक शेर सिंह नेगी ने बताया कि खान मालिक दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तरफ जहां माल के दामों में भारी गिरावट आई है। वहीं, डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ने से खर्चे कई गुणा अधिक हो गए हैं। इससे व्यवसाय चलाना अब घाटे का सबब बनता जा रहा है।
मंदी की मार से नहीं उभर पाए खनन व्यावसायी
खनन अभियंता डीके सिन्हा ने बताया कि कोरोना का सर्वाधिक प्रभाव खनन व्यवसायियों पर ही पड़ा है। इ कारण खान मालिकों के लिए अपना कारोबार समेटने तक की नौबत आ गई है। खनन व्यवसायी मंदी की मार से उभर नहीं पाए हैं। कारोबार चलाना मुश्किल हो गया है।
खर्चे प्रतिदिन बढ़ रहे, दाम निरंतर घट रहे
खनन व्यवसायी रविंदर यादव ने बताया कि चूना पत्थर के कारोबार को अब घाटे में चलाने पर विवश होना पड़ रहा है। महंगाई के दौर में खर्चे चला पाना कठिन हो गया है। खर्चे दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं और दाम निरंतर गिर रहे हैं। खान मालिकों को व्यवसाय बंद करना पड़ रहा है।
कोरोना की दूसरी लहर से राहत, पर पटरी पर नहीं लौटा खनन व्यवसाय - अमर उजाला
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