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गोरखपुर, डा. राकेश राय। अचार, सिरका, जेम, जेली, पापड़ बनाने के व्यवसाय अब घरों की चहारदीवारी तक ही सिमटे नहीं रहेंगे। जल्द वह छोटे-छोटे उद्योगों का रूप लेंगे। आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने इन व्यवसायों को घर से निकालकर उद्योग के स्तर पर लाने की योजना बनाई है। सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन नाम की इस योजना को सफल बनाने के लिए विभाग ने प्रदेश के जिन चार विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी भी तय की है, दीनदयाल गोरखपुर विश्वविद्यालय उनमें से एक है। इस सूची में बुंदेलखंड विवि झांसी, एसवीबीपी विवि मेरठ और एनडीयूएटी अयोध्या भी शामिमल हैं। जिम्मेदारी मिलने के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी है।
जिम्मेदारी मिलने वाले राज्य के चार विश्वविद्यालयों में शामिल है गोरखपुर विश्वविद्यालय
विश्वविद्यालय पहले खाद्य प्रसंस्करण का व्यवसाय करने वाले पुरुष और महिलाओं से संपर्क कर उनकी सूची तैयार करेगा। सूचीबद्ध् सभी के व्यवसाय को बेहतर बनाने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करेगा। प्रशिक्षित होने के बाद उन्हें व्यवसाय को उद्योग के रूप में विकसित की राह दिखाएगा। यही नहीं जरूरत पड़ने पर फंडिंग की व्यवस्था करेगा और तैयार खाद्य पदार्थ को बाजार तक पहुंचाने में मदद भी करेगा। इच्छुक लोगों को स्टार्टअप योजना के तहत भी मदद करने की विश्वविद्यालय की योजना है। खाद्य प्रसंस्करण के उद्योग से जुड़े लोगों को कार्य से जुड़ी अद्यतन जानकारी देने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से समय-समय पर आफलाइन और आनलाइन कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाएगा। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी हितधारकों को जागरूक करने कोशिश भी निरंतर जारी रहेगी।
चार विभागों को मिलाकर बनाई जाएगी टीम
खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर से मिली जिम्मेदारी को कुशलता के साथ निभाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द ही एक टीम बनाएगा। इस टीम में गृह विज्ञान और वाणिज्य विभाग के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। गृह विज्ञान विभाग बेहतर उत्पाद तैयार करने का तरीका बताएगा तो वाणिज्य विभाग उसकी मार्केटिंग जरिया बताएगा। विश्वविद्यालय के नवस्थापित कृषि और इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट की मदद भी ली जाएगी। योजना को सफल बनाने की अंतिम जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के इंन्क्यूबेशन और स्टार्टअप सेंटर की होगी।
अपंजीकृत व्यवसायियों में 80 फीसद महिलाएं
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने बताया कि प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ा बिजनेस करने वालों की संख्या तो 25 लाख के करीब है लेकिन इनमें से केवल सात प्रतिशत लोगों का व्यवसाय ही पंजीकृत है। अपंजीकृत व्यवसायियों में 80 फीसद महिलाएं हैं, जो घर में ही व्यवसाय को संचालित करती हैं, जिसका कोई रिकार्ड नहीं है। इससे दो तरह की दिक्कत आ रही है। पहला यह कि व्यवसाय अकुशल ढंग से संचालित हो रहा है और दूसरा शासन स्तर पर इससे होने वाली आय का आकलन नहीं हो पाता। इन्हीं दिक्कतों के समाधान के लिए सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना की शुरुआत की गई है। योजना को सफल बनाने में योगदान सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से पहल की गई थी। यही वजह है कि विभाग ने हम पर भरोसा जताया है। बेहतर परिणाम देने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
अचार और सिरका के घरेलू व्यवसाय को उद्योग बनाएगा गोरखपुर विश्वविद्यालय - दैनिक जागरण
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