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सिद्धार्थनगर : बत्तख पालन बहुत लाभप्रद व्यवसाय हो सकता है। इसमें किसानों के लिए बड़ी संभावनाएं हैं। न केवल बत्तख के अंडे बल्कि इसके मांस को भी लोग पसंद करते हैं। कृषि विशेषज्ञों की देखरेख में इसका व्यवसाय करें और उन्नत नस्ल पर ध्यान दें तो इससे किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है।
इस विषय पर कृषि विज्ञान केंद्र सोहना में कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें किसानों को व्यवसाय के बारे में जागरूक किया गया। कृषि विशेषज्ञ डा. डीपी सिंह ने बताया कि उन्नत नस्ल की बत्तख 250 से अधिक अंडे एक साल में देती है। प्रति अंडे का वजन 70 से 75 ग्राम होता है, जो कि मुर्गियों के अंडे की तुलना में 20 से 25 ग्राम अधिक होता है। बत्तख के अंडे का उपयोग कई बीमारियों से बचाव के लिए लाभकारी होता है।
अध्यक्ष एवं डा. ओपी वर्मा ने कहा कि बत्तख दूसरे एवं तीसरे साल में भी काफी अंडे देते हैं। मुर्गियों की अपेक्षा बत्तखों की उत्पादक अवधि अधिक होती है।
डा. मारकंडेय सिंह ने कहा कि मुर्गियों की अपेक्षा बत्तखों में कम बीमारियां होती हैं। बहता हुआ पानी बत्तखों के लिए काफी उपयुक्त होता है किन्तु अन्य पानी के स्रोत वगैरह में भी बत्तख पालन अच्छी तरह किया जा सकता है। अंडे देने वाली नस्लों के बारे में बताया कि इंडियन रनर एवं खाकी केंबेल मुख्य हैं, जबकि मांस देने वाली नस्ल सफेद पैकिग, एलिसबरी, मस्कोवी, राउन, आरफींगटन, स्वीडन, पेकिग मुख्य हैं, इसके अलावा मांस और अंडों के लिए संयुक्त रूप से खाकी कैंपबेल प्रजाति अच्छी मानी जाती है।
कार्यक्रम में श्रीराम यादव, राम अचल यादव, अजीत, सुरेश सहित नीलम सिंह, दीप नारायण सिंह, जय प्रकाश द्विवेदी, मौसम विशेषज्ञ सूर्य प्रकाश सिंह, अर्जुन सिंह यादव, प्रेम कुमार चौरसिया आदि उपस्थित रहे।
बत्तख का करें पालन, लाभकारी होगा व्यवसाय - दैनिक जागरण
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