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Saturday, August 28, 2021

कोरोना में बच्चों की छुट्टी, पतंग व्यवसाय को लगी हवा - Patrika News

कोरोना में बच्चों की छुट्टी, पतंग व्यवसाय को लगी हवा

दो साल से पतंगों का सीजन रहा है बेहतर, इस साल भी तीन करोड़ के व्यवसाय का अनुमान

करौली में कृष्ण जन्माष्टमी पर पतंग उड़ाने की परम्परा

करौली. कोरोना के कारण जहां कमोवेश सभी व्यवसाय आहत हुए हैं, वहीं बीते दो साल से पतंग व्यवसाय परवान पर है। खास बात यह भी है कि पतंग-डोर के दामों में इजाफा होने के बावजूद इस शौक में कमी नहीं आई है। करौली में रक्षा-बंधन और कृष्ण जन्माष्टमी पर पतंग उड़ाने की परम्परा रियासतकाल से प्रचलित है।

कोरोना में बच्चों की छुट्टी, पतंग व्यवसाय को लगी हवा

दो साल से पतंगों का सीजन रहा है बेहतर

इस साल भी तीन करोड़ के व्यवसाय का अनुमान

करौली में कृष्ण जन्माष्टमी पर पतंग उड़ाने की परम्परा

करौली. कोरोना के कारण जहां कमोवेश सभी व्यवसाय आहत हुए हैं, वहीं बीते दो साल से पतंग व्यवसाय परवान पर है। खास बात यह भी है कि पतंग-डोर के दामों में इजाफा होने के बावजूद इस शौक में कमी नहीं आई है।
करौली में रक्षा-बंधन और कृष्ण जन्माष्टमी पर पतंग उड़ाने की परम्परा रियासतकाल से प्रचलित है। इन दोनों दिन करौली-हिण्डौन शहर सहित आसपास के क्षेत्रों में भी पतंगें उड़ाई जाती हैं। वैसे करौली इलाके में पतंगों का सीजन जून माह से शुरू हो जाता है जो सितम्बर यानी जन्माष्टमी के एक माह बाद तक जारी रहता है। सावन-भादौ के दो महीनों को पतंगबाजी की दृष्टि से विशेष माना जाता है। जन्माष्टमी के बाद शर्तो पर आधारित पतंगों के पेच लड़ाना शुरू हो जाता है।
कोरोना के कारण जब लगभग सभी व्यवसायों में गिरावट की स्थिति आई है, तब दो साल से करौली क्षेत्र में पतंग व्यवसाय ने ऊंचाई पाई है। इसका कारण कोविड के चलते बच्चों के स्कूल बंद होना है। बच्चे ज्यादा समय घर पर ही बिता रहे हैं। उनको न होमवर्क की चिंता सता रही है और न परीक्षा का तनाव। स्कूल जाने से छूट मिली ही हुई है। ऐसे में इन दिनों रोज शाम को बच्चे पतंग उड़ाने का लुत्फ लेते हैं। अभिभावक भी होमवर्क और पढ़ाई की छुट्टी होने से बच्चों को पतंग उड़ाने से अधिक रोकते-टोकते नहीं। ये ही स्थिति बीते साल रही। इससे पहले के वर्षो में बच्चे राखी-जन्माष्टमी पर ही ये शौक पूरा कर पाते थे।
करौली में पतंग बाजी का शौक पुराना है। इस धंधे में कई ऐसे दुकानदार है जिनके कई पीढ़ी से ये काम करने से उनका नाम प्रसिद्ध हुआ है। इनमें दफेदार, मौला, भोला माली, मटर चाचा आदि नाम प्रमुख हैं।

रोजाना 3 लाख का कारोबार

करौली में पतंग-डोर के थोक विके्रता विष्णु गुप्ता बताते हैं कि महंगाई के बावजूद दो साल में पतंगों के धंधे में काफी इजाफा हुआ है। इस बार के सीजन में करौली शहर में 3 करोड़ रुपए से अधिक राशि के व्यवसाय का अनुमान है। करौली शहर में 50-60 दुकानें पतंगों की विभिन्न कॉलोनी-मोहल्लों में खुली हुई हैं। इन पर रोजाना तीन लाख से अधिक की बिक्री पतंग-डोर की हो रही है। राखी-जन्माष्टमी के मौके पर ये बिक्री 40 से 50 लाख रुपए तक पहुंच जाती है।

बढ़ते जा रहे दाम

बाजार में पतंग-डोर, मांजा के दाम साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं। इस साल भी दामों में 30 प्रतिशत तक की वृद्घि हुई है। बड़े बाजार में पप्पू पतंग वाला बताता है कि सामान्य स्तर की पतंग 8 रुपए से कम की नहीं है। इस कीमत की पतंगों की मांग अधिक है। वैसे अच्छी क्वालिटी की पतंग 15 रुपए से लेकर 30-35 रुपए तक की मिल रही है। हालांकि बच्चों को खुश करने के लिए 5 रुपए में पन्नी की रंग-बिरंगी पतंग उपलब्ध है, जो देखने में आकर्षक नजर आती हैं। सामान्य तौर पर पतंग उड़ाने के शौकीन 10 से 15 रुपए वाली पतंग ही पसंद करते हैं।

देशी पतंग की मांग अधिक

करौली में देशी पतंगों की मांग अधिक है। बीते साल के अच्छे सीजन को देखते हुए इस बार पतंग विक्रेताओं ने कच्चा माल मंगाकर देशी पतंगों को काफी पहले से तैयार करना शुरू कर दिया था। शहर में बाहर की पतंगों की बिक्री कम और स्थानीय स्तर पर तैयार पतंगों की बिक्री अधिक है। यहां बनी पतंग की खासीयत बेहतर संतुलन की होती है। वो कम हवा में भी उड़ जाती है और तेज हवा में संतुलित बनी रहती है।

इस बार आया गुरिल्ला मांजा

इस बार बाजार में नया गुरिल्ला मांजा आया है। महंगा होने के बावजूद इसकी मांग अधिक है। दाफेदार की दुकान पर रहमान के अनुसार एक हजार मीटर (एक रील) गुरिल्ला मांजे की कीमत 300 रुपए से अधिक है। 6 रील गुरिल्ला मांजे की चरखी 1800 रुपए की आ रही है। इसके अलावा काला बिच्छू मांजा की 6 रील की चरखी की कीमत 1300 रुपए में बिक रही है जो पिछले साल 1 हजार में उपलब्ध थी। रहमान ने बताया कि जाकिर वारसी मांजे तथा जाहिद एण्ड वाहिद के 6 रील मांजे की रेट 850 से बढ़कर 1250 रुपए हुई है। सफेद डोर सादा की रेट 50 रुपए रील से बढ़कर 70 रुपए रील हो गई है।

हवा में उड़ रहे मोदी-शाह

बच्चों के लिए बाहर से तैयार होकर आ रही पतंगों पर नरेन्द्र मोदी, अमित शाह जैसे नेताओं, अमिताभ-शाहरुख आदि अभिनेता और काजोल, करिश्मा, माधुरी आदि अभिनेत्रियों के फोटो भी हैं। इनके अलावा छोटू-मोटू, मोगली के चित्रों वाली पतंग भी बिक रही है। जबकि देशी पतंगों में जनेऊदार, तिरंगा, दुप्ट्टा, हरी-लाल-पीली पतंगें मिलती हैं।

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