गोलाबाजार (गोरखपुर)। हिन्दुस्तान संवाद
बेलीपार कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन विभाग के डाक्टर एसके सिंह ने कहा है कि गरीब किसानों के लिए बत्तख पालन एक लाभकारी एवं किफायती व्यवसाय है। फिर भी बत्तख पालन की ओर किसानों का ध्यान बहुत कम गया।
उन्होंने कहा कि बत्तख पालन के बारे में किसानों की यह धारणा गलत है कि बत्तख बिना तालाब के, बिना नमी के नहीं पाले जा सकते। उत्तम नस्ल के बत्तख कुक्कुट तरह भी पाले जा सकते हैं। इस पर काफी शोध कार्य केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र भुनेश्वर तथा केंद्रीय बत्तख प्रजनन फार्म (भारत सरकार ) हेसार घटा बेंगलूर द्वारा किया जा रहा है। हमारे देश में अंडा उत्पादन में मुर्गियों के बाद बत्तख का स्थान है। वर्तमान में हमारे देश में पूर्वी तथा दक्षिणी क्षेत्र में गरीब किसान बत्तख पालन को लगभग एक पूर्ण व्यवसाय के रूप में अपना रहा है। क्योंकि इन क्षेत्रों में काफी संख्या में दलदल एवं जल बाहुल्य क्षेत्र है।
बत्तख की नस्लें
अंडे देने वाले बत्तखों में इंडियन रनर, व केम्पबेल प्रमुख हैं। ब्यालयर या मांस के लिए पाले जाने वाले बत्तक्खों में पेकिन, मस्कोवी, आरफीगटन, एलिसबरी
कैंपबेल की तीन उपजाति हैं।
गरीबों के लिए अच्छा व्यवसाय है बत्तख पालन - Hindustan हिंदी
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