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Saturday, November 6, 2021

बंगाल में ईंट-भट्टा व्यवसाय संकट में - Patrika News

पश्चिम बंगाल में ईंट भट्टा व्यवसाय पर संकट छाने लगा है। जीएसटी दरें, कोयले के दाम बढऩे तथा कोयले की कम उपलब्धता और मजदूरों के पलायन से राज्य के करीब 15-16 हजार ईंट-भट्टा मालिक मुश्किल में पड़ते जा रहे हैं

जीएसटी दरें, कोयले के दाम बढऩे और कम उपलब्धता से कारोबारी मुश्किल में
कोयले की आपूर्ति को लेकर नीति बनाने और मिट्टी की सहज उपलब्धता की मांग
रवीन्द्र राय
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में ईंट भट्टा व्यवसाय पर संकट छाने लगा है। जीएसटी दरें, कोयले के दाम बढऩे तथा कोयले की कम उपलब्धता और मजदूरों के पलायन से राज्य के करीब 15-16 हजार ईंट-भट्टा मालिक मुश्किल में पड़ते जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि कोरोना काल में कोयले के दाम तीन गुने बढ़ गए हैं, जबकि कोयले की आपूर्ति सुचारू रूप से नहीं हो रही है। इसका सीधा असर व्यवसाय पर पड़ रहा है। कोरोना काल में पहले से ही कारोबार मंदा चल रहा है। अब नई चुनौतियों के सामने आने से कारोबार करना मुश्किल होता जा रहा है।
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मांग घटी, हालत बिगड़ी
व्यापारियो का कहना था कि महंगाई के बढ़ते दौर में सभी चीजें की कीमतें बढ़ती जा रही हैं, जबकि मांग घटने के कारण ईंट के दाम में प्रति हजार दो-ढाई हजार रुपए की कमी करनी पड़ी है। ईंट भट्टे के व्यवसाय से राज्य में करीब 15-16 लाख श्रमिक जुड़े हुए हैं। ऐसे में सभी को मुश्किल हालात से गुजरना पड़ सकता है। व्यापारियों ने बताया कि कोरोना, अम्फान और यास तूफान के कारण वर्ष भर कारोबार कमजोर रहा।
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केंद्र से लगाई गुहार
ईंट-भट्टे मालिकों के एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक तिवारी ने कहा कि सभी को पता है कि पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी के कारण ईंट व्यवसाय चौपट हो गया है। हमने केंद्र सरकार के समक्ष अपनी विभिन्न समस्याएं रखी है। सरकार से जल्द हमारी जायज मांगों पर विचार करने तथा समस्या के समाधान की गुहार लगाई है।
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नई नीति की मांग
व्यापारियों का कहना है कि ईंट भट्टा उद्योग को कोयले की सुचारू आपूर्ति के लिए केंद्र सरकार को नई नीति बनानी चाहिए। जीएसटी दरें घटनी चाहिए। नदी या जलाशय से मिट्टी निकालने की सुगमता मिलनी चाहिए। बड़े डैम या नदी से मिट्टी निकालने के लिए सरकार को अनुमति देनी चाहिए। फ्लाई ऐश ईंट या साधारण ईंट दोनों के लिए सरकार को एक समान नीति अपनानी चाहिए
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इनका कहना है
बंगाल में ईंट भट्टे के व्यवसाय पर संकट गहराता जा रहा है। कोरोना काल में भवन निर्माण में कमी आई। ईंट की मांग घटी। फिर जीएसटी दरें, कोयले के दाम बढऩे से इस उद्योग के लिए हालात मुश्किल भरे हो गए। सरकार को हमारी समस्याओं को दूर करने के लिए फौरी कदम उठाने चाहिए।
योगेश अग्रवाल, अध्यक्ष, बंगाल ब्रिक फील्ड ओनर्स एसोसिएशन

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