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जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर(भदोही): वैश्विक महामारी कोरोना के कारण दो साल से राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय कालीन मेलों का आयोजन नहीं हो रहा है। इससे कालीन उद्योग को दो से तीन हजार करोड़ की चपत लग चुकी है। कालीन मेले पर निर्भर 60 फीसद निर्यातकों का कारोबार बंद होने की स्थिति में पहुंच चुका है। आयातकों से सीधा संपर्क कर व्यवसाय करने वाले 40 फीसद निर्यातक ही बाजार में टिके हुए है। हालात को देखते हुए निर्यातक अपने ग्राहकों से लगातार संपर्क कर रहे हैं। कालीन उद्यमियों की मानें तो आने वाले समय में व्यवसाय शत प्रतिशत वर्चुअल हो जाएगा। पारंपरिक मेलों की बजाए लोग आनलाइन फेयर और आनलाइन कारोबार पर निर्भर हो जाएंगे।
विश्व के देशों में लाकडाउन लगने के बाद से ही किसी तरह के मेले का आयोजन नहीं हो रहा है। चालीस फीसद कालीन कारोबारी अभी भी आनलाइन व्यापार कर रहे हैं। ऐसे व्यापारियों का शोरूम भी विदेशों में है। लेकिन 60 फीसद लघु एवं मध्यम वर्ग के उद्यमियों का कारोबार पूरी तरह ठप हो गया है। कालीन मेले का आयोजन न होने से ऐसे कालीन उद्यमियों को आर्डर नहीं मिल पा रहा है। कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन आने से आने वाले समय में भी मेले का आयोजन होना संभव होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में कालीन उद्यमी अब वर्चुअल फेयर पर ही निर्भर हैं। कालीन उद्यमियों का कहना है कि वर्चुअल फेयर के माध्यम से ही कारोबार को संजीवनी मिल सकती है। अधिसंख्य कालीन निर्यातक अभी भी आनलाइन कारोबार कर रहे हैं।
उपायुक्त (उद्योग) ने बताया कि सरकार की ओर से मिल रही सुविधा में भी कुछ कटौती की गई है। इसके लिए कालीन निर्माता संघ के लोग लगे हुए हैं। कोरोना में कालीन का व्यापार छह से घटकर चार हजार करोड़ हो गया है।
Edited By: Jagran
वर्चुअल फेयर पर निर्भर होगा भदोही का कालीन व्यवसाय - दैनिक जागरण
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