Author: Prashant Kumar PandeyPublish Date: Sat, 19 Feb 2022 05:43 PM (IST)Updated Date: Sat, 19 Feb 2022 05:43 PM (IST)
संवाद सूत्र, रामगढ़: रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र के कई जगहों पर लोग मधुमक्खी पालन का व्यवसाय कर समृद्धि की राह अख्तियार कर चुके हैं। मुजफ्फरपुर के व्यवसायी शहद की खेती में मिठास का घोल डाल स्वावलंबन का रास्ता दिखा रहें हैं। समय की बचत के साथ कम खर्च कर मधुमक्खी पालकों ने शहद का उत्पादन कर आत्मनिर्भर बनने का रास्ता खोज लिया है। दो माह की मेहनत में पूरे वर्ष तक बैठकर खाने की जुगत कर लोगों को स्वावलंबी बनाने में यह व्यवसायी उपयोगी साबित हो रहा है।
मोहनियां बक्सर पथ पर पनसेरवां गांव के समीप मुख्य सड़क के किनारे शहद की मिठास की बह रही खुशबू से हर कोई वाकिफ हो रहा है। प्रतिदिन लोग यहां सुबह शाम पहुंच कर शहद का उत्पादन देखने पहुंचते हैं तथा मशीन से निचोड़े गए शहद के रस का सेवन करते हैं। इसके लिए इन किसानों को मंडी की तलाश नहीं करनी पड़ती है।मुजफ्फरपुर और बाराबंकी से डीलर आकर यहां से शहद का उठाव करते हैं। मौसम जब मदमस्त रहता है तो उसका उत्पादन दोगुना होता है।
मुजफ्फरपुर जिले के सरैयां गांव निवासी रंजीत साहनी, रमेश कुमार व रामप्रसाद इसका मजा चख चुके हैं। वे प्रत्येक साल जिले के किसी न किसी जगह पर अपना कारोबार शुरू करते हैं। इस बार मोहनियां बक्सर पथ पर पनसेरवां गांव के समीप मुख्य सड़क किनारे आकर शहद का उत्पादन कर रहे हैं। सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं रहने पर कुछ महीनों के लिए किराए पर भूमि लेते हैं।
एक बक्सा से दो माह में 15 किलो निकलता है शहद
सरसों जब फूल लेना शुरू कर देता है, उसी समय से मधुमक्खी अपना प्रोडक्शन शुरू कर देती है। इन किसानों ने शहद के उत्पादन के लिए 250 बक्सा लगाया है। प्रत्येक बक्से में एक रानी होती है। मौसम सही रहा तो 24 घंटे में दो हजार अंडा देती है। एक बक्सा से दो माह में 15 किलोग्राम शहद अनुमानतः निकलता है। दो सौ रुपए किलो की दर से व्यापारी शहद को यहीं से आकर ले जाते हैं। इन लोगों ने बताया कि बहुत से किसान अपनी फसल के इर्द-गिर्द इसकी खेती नहीं करने देना चाहते थे।
उनकी मधुमक्खियों के रबी फसल के फूलों पर बैठने से फसल को क्षति पहुंचने का अंदेशा बना रहता था। जबकि ये प्रजातियां प्रजनन का कार्य करती है। जिससे किसानों को दोहरा फायदा होता है। आम के बौर सहित कई फल फूलों पर भी इन मधुमक्खियों से फायदा पहुंचता है। इसके लिए सामान्य मौसम होना चाहिए। न तेज हवा और न ही बादल। मौसम शुष्क होना चाहिए । शुष्क मौसम से इसकी खेती अच्छी होती है। पांच दिनों से मौसम बिल्कुल अनुकूल है। इसी तरह का मौसम बना रहे तो कई गुना लाभ किसान कमा सकता हैं।
बता दें कि सरकार द्वारा किसानों को कई तरह की तकनीकी खेती से जोड़ कर रोजगार के अवसर प्रदान करने की कोशिश हो रही है। उन्हें इसके लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। लेकिन शहद का उत्पादन करने वाले इन किसानों को सरकार द्वारा अब तक कोई सुविधा नहीं मिलने से इनलोगों में निराशा का भाव देखा जा रहा है।
मार्च महीने में चले जाते हैं किसान
इसमें जब प्रोडक्शन बंद हो जाएगा तो इन मधुमक्खियों को लेकर ये किसान दूसरे जगह निकल जाते हैं। पुर्णिया व मुजफ्फरपुर में मार्च महीने में इसका उत्पादन शुरू होता है। किसानों ने बताया कि इस शहद को कितना भी दिन रख देंगे खराब नहीं होने वाला है। कंपनी में जाते ही केमिकल के द्वारा रिफाइनरी के माध्यम से वे अपने उत्पाद का लोगो लगाकर इसे ब्रांड देते हैं। तब एक्सपायरी की तिथि निर्धारित करते हैं। यही शहद कंपनी के माध्यम से छह सौ रुपए किलो तक बिकता है
Edited By: Prashant Kumar Pandey
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