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Tuesday, February 22, 2022

शिक्षा पर पाश्चात्य दृष्टिकोण व्यवसाय व लाभ से प्रेरित : भागवत - ThePrint Hindi

उज्जैन, 22 फरवरी (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि शिक्षा के बारे में प्रचलित पश्चिमी सोच व्यवसायोन्मुखी है और वे भारतीय शिक्षा प्रणाली को तीन हजार अरब डॉलर का क्षेत्र मानते हैं।

भागवत यहां मध्य प्रदेश में आरएसएस की शिक्षा शाखा विद्या भारती के क्षेत्रीय कार्यालय सम्राट विक्रमादित्य भवन के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। यह भवन शिक्षकों के प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र के रुप में काम करेगा।

आरएसएस प्रमुख ने कहा, “शिक्षा और स्वास्थ्य अब भोजन, कपड़े और घर के साथ बुनियादी जरुरतों का हिस्सा हैं। लोग खुद को भूखा रखकर और किराए के आवास में रह कर भी अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा सुनिश्चित करते हैं।”

उन्होंने कहा कि शिक्षा के बारे में पश्चिमी व्यापार-उन्मुख विचार इन दिनों प्रचलित है और वे भारतीय शिक्षा प्रणाली को तीन हजार अरब डॉलर का मानते हैं।

भागवत ने कहा कि उनका (पश्चिम का) मानना है कि यह एक लाभदायक क्षेत्र है और आपूर्ति बढ़ाकर लाभ कमाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि, विद्या भारती जो देश में स्कूलों का एक विशाल नेटवर्क चलाती है, लाभ के बारे में बात नहीं करती है और हर भारतीय को शिक्षा देने का काम करती है।

सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान के मालवा प्रांत के सचिव प्रकाश धनगर ने कहा कि नए स्थापित केंद्र में हर साल 20 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे शिक्षण के दौरान आने वाली चुनौतियों पर भी शोध करेंगे।

भाषा सं दिमो नोमान

नोमान

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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