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Wednesday, May 11, 2022

अभ्यास मंडल व्याख्यानमाला: जहां जल योध्दा हुए वहीं हो रहा पानी का व्यवसाय- उमाशंकर पांडे - Nai Dunia

इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जीवन में जल के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत जल की आवश्यकता होती है। हर धर्म, संप्रदाय, संतों ने पानी की महत्ता प्रतिपादित की है। जिस देश में राजा भागीरथ, भोजराज, अनुसुईया, रानी दुर्गावती और- अहिल्याबाई होलकर जैसे जल योद्धा हुए आज उसी देश का दुर्भाग्य है कि पानी का व्यवसाय हो रहा है। जहां 10-12 फीट की गहराई पर पानी उपलब्ध हो जाता था वहां आज 500 फीट खोदाई करने के बाद भी पानी नहीं निकल रहा। हम सभी को जल योद्धा बनना होगा। इसके लिए हमें खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में, घर का पानी घर में और तालाब का पानी तालाब में रखने की निती अपनाना होगी। बारिश का पानी एक बूंद भी व्यर्थ जाने से बचाना होगा और अधिक से अधिक जमीन में उतारना होगा। ग्रामीण परिदृश्य की बात करें तो खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़ की अवधारणा को लागू करना होगा।

यह बात चित्रकूट के जल विशेषज्ञ उमाशंकर पांडे ने जल संरक्षण पर समुदाय की भागीदारी विषय पर कही।अभ्यास मंडल द्वारा जाल सभागृह में जारी 61वीं ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला में बुधवार को जल संरक्षण विषय पर विचार व्यक्त करते हुए उमाशंकर ने कहा कि पूर्व की सरकार ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में आकर नदियों को बेच दिया यह दुर्भाग्य पूर्ण है। उत्तरांचल और चेरापूंजी में जहां जल की कमी नहीं थी वहां आज जल समस्या आ रही है। जो व्यक्ति पानी की एक बूंद भी बचाता है यह पानी व्यर्थ बहाने वाले से बेहतर है। आप बड़ा प्रयास नहीं कर सकते तो इतना ही कर लें कि पानी की उपयोगिता कम करें दे। जल संरक्षण के प्रयास में हम संख्या में कितने हैं यह महत्वपूर्ण नहीं। मायने यह बात रखती है कि हम उसके लिए समर्पित कितने है।

व्याख्यानमाला में निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने कहा कि शहर को हमें बेंगलुरु और चैन्नई की राह पर जाने से रोकना होगा। अगले 2 वर्षों में इंदौर में जल संरक्षण की दिशा में इतना काम होगा कि लोग दूसरे शहरों को छोड़कर यहां बसने आएंगे। बारिश के पानी का संरक्षण हमारा दायित्व है। हमारा लक्ष्य है कि हम उस मिट्टी के नीचे बारिश का पानी पहुंचाएं ताकि भूजल का स्तर ऊपर उठ सके। बारिश के पानी में टीडीएस 30 होता है इस तरह बारिश का पानी बहुत बेहतर है। विषय प्रवर्तन मुकेश चौहान ने किया। अतिथि स्वागत शशिकांत शुक्ला, आलोक खरे, रामेश्वर गुप्ता व मुकुंद कुलकर्णी ने किया। प्रतीक चिन्ह रसनिधि गुप्ता ने प्रदान किए। संचालन हरेराम वाजपेई ने किया और आभार डा. ओपी जोशी ने माना।

उमाशंकर पांडे ने आंकड़ों से समझाया जल का महत्व

* दुनिया में भारत की आबादी का प्रतिशत 16 है और पानी का मात्र ढाई प्रतिशत।

* वर्षा जल का 60 प्रतिशत नदियों में, 20 प्रतिशत वाष्प बन जाता है, 10 प्रतिशत तालाब में जाता है और महज 10 प्रतिशत ही जमीन में उतरता है।

* वर्षा का जल 50 प्रतिशत भूमि में जाना चाहिए।

* भारत में 10 हजार 360 नदियों में से करीब 300 नदी में ही स्वच्छ जल बचा है।

* आजादी से पहले भारत में 1 करोड़ तालाब थे अब 5 लाख ही बचे।

* पहले 120 दिन वर्षा होती थी अब 38 से 40 दिन ही होती है।

* एक व्यक्ति जीवन में 65 से 70 हजार लीटर पानी पीता है।

* 80 प्रतिशत बीमारी की वजह दूषित जल है।

* प्रतिवर्ष 80 हजार बच्चे दूषित जल की वजह से मर जाते हैं।

* भारत में 18 करोड़ हैक्टर जमीन पर खेती होती है जिसमें से 9 करोड़ हैक्टर जमीन असिंचित है।

Posted By: Hemant Kumar Upadhyay

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