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कुमकुम कहती है पिता के काम में हाथ बटा कर मिलती है आत्मीय खुशी
मौर्यधवज सेन
नगरी/सिहावा, बेलरगांव।हां आपने सही सुना बेटी कुमकुम करती है सेलून में नाई का काम आपने लड़कियों को अक्सर ब्यूटी पार्लर में काम करते देखा होगा। पर हम बात कर रहे हैं मेंस सेलून की जहां 18 वर्ष की कुमकुम अपने पिता के साथ सेलून में काम करते नजर आती है, जब इस बात की सत्यता की जांच पड़ताल करते हुए हम ग्राम सेमरा पहुंचे तब जो हमने देखा उससे हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई हमने बात किया 18 वर्ष की कुमकुम के पिता रूपेश सेन से उन्होंने बताया उनके पांच संतान है और उनके माता-पिता जिनका भरण पोषण करने के लिए वे अपने निवास स्थान पर ही सेलून में नाई का काम करते हैं,परंतु वह कुछ वर्ष पहले बहुत ज्यादा मानसिक तनाव में रहा करते थे। उनकी छोटी बेटी ने उनकी व्यथा को समझते हुए 1 दिन कहा कि पिता जी मुझे भी आप नाई काम सिखा दो बेटी की इस बात को सुनकर पिता तो पहले सन्न रह गए पर बेटी की विचार को सुनकर पिता अपने आंसू नहीं रोक पाए फिर उन्होंने अपनी बेटी को मेंस सेलून का काम सीखाया और आज वही बेटी पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेलून में नाई का काम करते नजर आती है। कुमकुम बताती है कि वे 18 साल की हैं और उन्होंने 12 वीं पढ़कर पढ़ाई छोड़ दिया उनकी बड़ी बहन राधिका है जो दृष्टि बाधित है, तथा उनके तीन और छोटे भाई हैं एवं दादा दादी भी साथ रहते हैं, कुमकुम पूरे दिन सेलून का काम करने के बाद घर में खाना भी बनाती है, बेटी के साथ साथ मां का भी उत्तरदायित्व निर्वाहन करती है। कुमकुम कहती है मुझे बिल्कुल भी झिझक नहीं होती नाई का काम करते हुए बल्कि मुझे खुशी है कि मैं अपने पिता जी के कार्य में सहयोग कर पाती हूं, निश्चित रूप से यह मानव समाज के लिए एक बड़ी उदाहरण है और यह कहा जा सकता है कि बेटी कुमकुम बहनी सशक्तिकरण की एक मिसाल है आत्मनिर्भर एवं स्वाभिमान इस परिवार में कूट-कूट के भरा है और बेटी कुमकुम ने यह बात स्पष्ट कर दिया कि पिता के पैतृक व्यवसाय में बेटा ही नहीं अपितु बेटी भी बराबर सहयोग कर सकती है।
ग्राम सेमरा के सरपंच श्रवण ध्रुव ने कहा की हमें बेटी कुमकुम पर गर्व है, यह पूरे ग्राम वासियों के लिए एक मिसाल है एवं उन लड़कियों के लिए भी मिसाल है जो अपने बालिक हो जाने के बाद भी पढ़े-लिखे ना होने का हवाला देते हुए अपनी विवाह तक माता-पिता पर आश्रित होते हैं, यह बेटी कुमकुम गांव के विभिन्न कार्यक्रमों में समय-समय पर हिस्सा लेती है,एवं अपने प्रतिभा का परिचय देती है।अपनी पिता की स्थिति को देखते हुए बेटी ने जो फैसला लिया वाकई काबिले तारीफ है, पूरे गांव वाले उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं …
पिता की व्यथा देख बेटी ने संभाला पैतृक व्यवसाय सेलून में करती है नाई का काम - CG Mitan
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