बात 7 सितंबर, 1948 की है। उस वक्त देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पंजाबी स्वतंत्रता सेनानी रघुनंदन सरन को अशोक मोटर्स शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया था। यही अशोक मोटर्स अब अशोक लीलैंड के नाम से जानी जाती है। गुरुवार को अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूरे कर रही अशोक लीलैंड धीरे धीरे एक और परिवर्तन के दौर से गुजर रही है और इस बार वह इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के क्षेत्र में पहचान बना रही है।
अक्टूबर 2021 में परिचालन शुरू होने के दो साल के अंदर अशोक लीलैंड की इलेक्ट्रिक वाहन इकाई स्विच मोबिलिटी भारत के इलेक्ट्रिक बस बाजार में करीब 20 प्रतिशत भागीदारी हासिल कर चुकी है। 75 साल का सफर पूरा कर चुकी कंपनी अब भारतीय और वैश्विक बाजारों (खासकर ब्रिटेन) में तेजी से इलेक्ट्रिक व्यवसाय में मौजूदगी बनाने की तैयारी कर रही है। स्विच मोबिलिटी ने अगले पांच साल में हर साल दो नए वाहन पेश करने की योजना बनाई है और वह करीब 1,200 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही हासिल कर चुकी है।
स्विच मोबिलिटी ने यूरोप में अपने ईवी वाहन पेश करने की योजना बनाई है और पश्चिम एशिया, अफ्रीका, मॉरिशस, बांग्लादेश तथा नेपाल जैसे बाजारों को भारत से निर्यात की संभावना तलाश रही है। कंपनी ने ‘दोस्त’ और ‘बड़ा दोस्त’ एलसीवी के इलेक्ट्रिक वैरिएंट पेश करने की भी योजना बनाई है। स्विच मोबिलिटी के मुख्य कार्याधिकारी महेश बाबू ने कहा, ‘भारत में हमारी मौजूदा समय में 20 प्रतिशत भागीदारी है और ब्रिटेन के बाजार में हम पहले ही तीसरे नंबर पर आ चुके हैं।
हमारे द्वारा निर्मित करीब 750 बसें वैश्विक रूप से सड़कों पर दिख रही हैं, जिनमें करीब 500 भारत में हैं। भविष्य में, हमारा लक्ष्य अगले तीन से पांच साल तक इन दोनों देशों में टॉप-3 में बने रहना है।’ जेएमके रिसर्च के पास उपलब्ध आंकड़े से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत में इलेक्ट्रिक बस बाजार में हिंदुजा समूह के स्वामित्व वाली अशोक लीलैंड की भागीदारी मुश्किल से 3.37 प्रतिशत थी और 2022-23 में यह बढ़कर 20 प्रतिशत हो गई। कंपनी भारतीय बाजार में नवाचार पर ध्यान दे रही है और उसका मानना है कि उसकी इलेक्ट्रिक डबल-डेकर बस इस दिशा में उठाया गया कदम है।
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