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Sunday, November 19, 2023

त्योहारों के साथ बदलता है इस गांव के लोगों का रोजगार, 12 महीने में करते हैं 12 तरह के व्यवसाय - News18 हिंदी

आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. बिहार के सबसे बड़े जिले पश्चिम चम्पारण में एक ऐसा गांव भी है, जहां के अधिकांशतः लोग त्योहारों के अनुसार व्यवसाय को करते हैं. हर महीने नए पर्व के साथ व्यवसाय भी बदलता रहता है. ऐसे में साल के 12 महीने में 12 तरह के व्यवसाय को कर यहां के लोग अपनी जीविका चलाते हैं. आपको ऐसा लगता होगा कि आखिर ये संभव कैसे है! एक व्यवसाय में पूंजी लगाने के बाद जब तक उससे लाभ नहीं कमा लिया जाए, तब तक उसे बंद करना संभव नहीं है.

एक बार पूंजी लगाने का मतलब उसे लंबे समय तक चलाना होता है. लेकिन यहां तो हर महीने कुछ नया किया जा रहा है. आखिरकार ये संभव है भी तो कैसे ? तो चलिए आज हम आपको इस पहली पर भी पूरी जानकारी देते हैं.

गांव में ही होता है प्रोडक्शन के साथ सेलिंग का काम

मझौलिया प्रखंड का कठैया विशुनपुरा एक ऐसा गांव है, जहां के लोग 12 महीने में 12 प्रकार के व्यवसाय करते हैं. अर्थात हर महीने एक नए व्यवसाय की शुरुआत करते हैं. सुनने में ये थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन यह सच है. ग्रामीण झुन्ना बताते हैं कि फिलहाल छठ पर्व का समय है, इसलिए उनके साथ गांव के अधिकांश लोग पर्व से संबंधित वस्तुओं जैसे: दउरा, सुपलि, कोसी, दीया, नारियल, गन्ना आदि का व्यवसाय कर रहे हैं. इसके बाद उनका व्यवसाय शादी संबंधित वस्तुओं वाला हो जाएगा.

झुन्ना के अनुसार, ऐसा कर पाना किसी और के लिए बेहद मुश्किल है, लेकिन उनके गांव में ऐसा करना बेहद आसान तथा जीविका के लिए बेहतर है. दरअसल, उनके गांव के कुछ लोग त्योहार संबंधित वस्तुओं को बनाने का काम करते हैं, तो कुछ लोग उसे बेचने का. ऐसे में प्रोडक्शन के साथ-साथ सेलिंग का काम भी बड़ी आसानी से हो जाता है.

त्योहारों के अनुसार बदलते हैं कारोबार

विकास बताते हैं कि विशुनपुरा गांव की खासियत यह है कि यहां के लोग आपसी सम्मति से वस्तुओं को बनाने कर बेचने का काम करते हैं. फिलहाल छठ पूजा को लेकर जो वस्तुएं बनाई जा रही हैं, उनकी मांग पश्चिम चम्पारण के अलावा पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सिवान, गोरखपुर और बनारस तक है. सस्ती होने के कारण अन्य जिलों और राज्यों के व्यवसायी यहां आते हैं.विकास ने बताया कि छठ के बाद शादी में इस्तेमाल किए जाने वाले बांस के वस्तुओं को बनाना शुरू करेंगे. इसके बाद सरस्वती पूजा के लिए मूर्ति, फिर होली के लिए अबीर-गुलाल, टोपी, पिचकारी, राखी, तीज, जितिया, नवरात्रि तथा दीपावली के अनुसार व्यवसाय को किया जाता है.

Tags: Bihar News, Champaran news, Local18

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