![रेत व्यवसाय के मशीनीकरण से मुंब्रा में 15 हजार मजदूर सड़क पर, दशरथ पाटिल रेत व्यवसाय के मशीनीकरण से मुंब्रा में 15 हजार मजदूर सड़क पर, दशरथ पाटिल](https://www.hindusthansamachar.in/Website_CategoryImages/regional.jpg)
मुंबई,21नवंबर ( हि स) । ठाणे के मुंब्रा-रेतीबंदर और काशेली से लेकर घोड़बंदर तक के गांवों में पारंपरिक डूबे हुए रेत व्यवसाय के मशीनीकरण से इस व्यवसाय पर निर्भर 35 गांवों के कम से कम 5 हजार ग्रामीण परिवारों और लगभग 15 हजार मेहनती आदिवासी मजदूरों की आजीविका नष्ट हो जाएगी | रेत व्यवसाय से अपनी आजीविका चला रहे मजदूरों का प्रतिनिधित्व कर रहे दशरथ पाटील ने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बताया है कि गंभीर भूख संकट पैदा होने से वे सड़क पर आ जायेंगे । अंततः उन्हें और उनके परिवारों को पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
दशरथ पाटिल ने आज बताया कि उन्होंने हाल ही में वर्षा मुख्यमंत्री निवास पर एकनाथ शिंदे से मुलाकात की है और ठाणे जिले में पारंपरिक जलमग्न रेत व्यवसाय करने वाले व्यापारियों की समस्याओं पर चर्चा की है ।बताया जाता है कि मुंब्रा-रेतीबंदर और काशेली से घोड़बंदर के ग्रामीण इलाकों के स्थानीय भूमिपुत्र पारंपरिक रूप से सैकड़ों वर्षों से धँसी हुई रेत का व्यवसाय करते रहे हैं। अब इस डूबे हुए रेत कारोबार को मशीनीकृत करने की कोशिश की जा रही है. यदि मशीनीकरण किया जाता है, तो 35 गांवों के कम से कम 5,हजार ग्रामीण परिवारों और वाडा, मोखादा मौखाड़ा, जव्हार, दहानू, तलासरी, कुपोषित क्षेत्रों के लगभग 15,हजार मेहनती आदिवासी मजदूरों की आजीविका समाप्त हो जाएगी और उनके परिवारों पर अकाल पड़ जाएगा।
जबकि मुंब्रा और घोड़बंदर खाड़ी से पारंपरिक जलमग्न रेत व्यापारियों द्वारा 200 से 300 टन रेत से भरी बजरी ले जाई जाती हैं। जबकि ऐसा है, नाले से जगह बनाने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। अगर भूमिपुत्रों का यह पारंपरिक व्यवसाय बंद कर दिया गया, तो वे जमीन पर आ जाएंगे। जबकि वास्तव में,यह साधन पारंपरिक डूबी व्यवसाय हजारों मेहनती आदिवासियों और भूमिपुत्रों को आजीविका प्रदान करता है। इसके चलते दशरथ पाटिल ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से अनुरोध किया है कि वे संबंधित विधायकों, सांसदों, मंत्रियों और गोताखोर पेशेवरों की एक संयुक्त बैठक बुलाएं ताकि इससे आसानी से कोई रास्ता निकाला जा सके ।
हिन्दुस्थान समाचार /रविन्द्र
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