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कोरोना काल में बस और टैक्सियों का काम चौपट होने से वाहन स्वामियों को भारी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलने पर टैक्स से बचने के लिए वाहन स्वामियों को वाहनों के परमिट सरेंडर करने को मजबूर होना पड़ रहा है। शनिवार को आठ बस मालिकों ने परमिट एआरटीओ कार्यालय में सरेंडर किए। अभी तक यहां कुल 22 वाहन स्वामियों ने परमिट जमा कराए हैं।
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कोविड-19 के लॉकडाउन की मार झेलने के बाद कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में भी परिवहन व्यवसाय ठप पड़ा है। शनिवार को आठ बस मालिकों ने यहां बौराड़ी एआरटीओ कार्यालय में अपने परमिट सरेंडर करा दिए। उन्होंने सरकार से व्यवसायिक वाहन मालिकों को राहत देने की मांग की है।
रीजनल इंस्पेक्टर (आरआई) विकास सिंह ने बताया कि अब तक सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय बौराड़ी में बस और टैक्सियों के 22 परमिट सरेंडर कराए गए हैं। अधिकतम तीन माह के लिए परमिट सरेंडर किए जा सकते हैं। इस दौरान उन्हें टैक्स नहीं भरना पड़ेगा। जिन वाहनों के परमिट जमा कराए गए हैं, उनका संचालन नहीं हो सकेगा। इधर, कांग्रेस के शहर अध्यक्ष देवेंद्र नौडियाल ने सरकार से वाहन स्वामियों का टैक्स माफ करने और आर्थिक मदद देने की मांग की है।
कोविड-19 के लॉकडाउन की मार झेलने के बाद कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में भी परिवहन व्यवसाय ठप पड़ा है। शनिवार को आठ बस मालिकों ने यहां बौराड़ी एआरटीओ कार्यालय में अपने परमिट सरेंडर करा दिए। उन्होंने सरकार से व्यवसायिक वाहन मालिकों को राहत देने की मांग की है।
रीजनल इंस्पेक्टर (आरआई) विकास सिंह ने बताया कि अब तक सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय बौराड़ी में बस और टैक्सियों के 22 परमिट सरेंडर कराए गए हैं। अधिकतम तीन माह के लिए परमिट सरेंडर किए जा सकते हैं। इस दौरान उन्हें टैक्स नहीं भरना पड़ेगा। जिन वाहनों के परमिट जमा कराए गए हैं, उनका संचालन नहीं हो सकेगा। इधर, कांग्रेस के शहर अध्यक्ष देवेंद्र नौडियाल ने सरकार से वाहन स्वामियों का टैक्स माफ करने और आर्थिक मदद देने की मांग की है।
कोरोना महामारी में परिवहन व्यवसाय हुआ चौपट - अमर उजाला
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