संवाद सहयोगी, करौं (देवघर): सिद्धपीठ पथरौल धार्मिक आस्था का केंद्र है। यहां प्रसिद्ध काली मंदिर है। जहां देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। वहीं, यहां आने वाले लोग लोहे का सामान प्रसाद के रूप में खरीदते हैं। इस कारण यहां लोहे के सामान का कारोबार होता है। फिलहाल यह कारोबार मंदी का शिकार है। 110 परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हुए है। अनुमान के मुताबिक यहां 15 से 20 लाख रुपये का सालाना लोहे का व्यवसाय होता है। मगर वर्तमान समय में यह व्यवसाय धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है। सरकारी स्तर पर कच्चे माल व उपकरण उपलब्ध नहीं होने के कारण यह व्यवसाय काफी मंदा हो गया है।
व्यवसायी बनाते हैं कई सामग्री : यहां लौह से निर्मित कई घरेलू सामानों के अलावा कृषि उपकरण, गेट व ग्रिल आदि बनाया जाता है। यह लोग दिन भर आग की भट्टी में लोहा गरम कर मोटे-मोटे हथौड़े से पीट-पीट कर उपकरण बनाते हैं। मगर इतनी मेहनत करने के बावजूद इनके द्वारा बनाई गई वस्तुएं औने-पौने दामों में खरीदी जाती है। रतन शर्मा, ननकू शर्मा, सोनू पड़ैया, सिकंदर विश्वकर्मा, त्रिपुरारी शर्मा आदि व्यवसायियों ने बताया कि वर्तमान में कच्चे माल की कीमत में काफी बढ़ोत्तरी हो गई है। लेकिन सामानों की बिक्री करने से उन्हें प्रति किलो 15 से 20 रुपए मिलता है। वहीं सरकारी सहायता नहीं मिलने से पूंजी के अभाव में वह लोग अपने व्यवसाय को बढ़ा नहीं पा रहे हैं। आलम यह है कि आर्थिक दृष्टिकोण से कमजोर लौह व्यवसायियों की जिदगी बदहाल हो चुकी है। अपने परिवार के सदस्यों को अच्छा वस्त्र व आवास तो दूर, जिदगी गुजारने के लिए भोजन भी जुटा पाना मुश्किल हो जाता है। वहीं अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाने के चलते इनके बच्चे भी अपने पुश्तैनी धंधे से जुड़ जाते है। यदि सरकार के द्वारा ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाए तो इनका पुश्तैनी रोजगार भी लघु उद्योग का रूप ले सकता है।
25 लाख से बना लोहारगिरी शेड बेकार : पाथरौल के राउतडीह में 15 वर्ष पूर्व 25 लाख की लागत से लोहारगिरी शेड का निर्माण कराया गया था। जिसका संचालन ग्यारह सदस्यों द्वारा किया जाना था। कच्चे सामान के लिए ऋण भी मुहैया कराया गया था। शेड बनने के बाद यहां के लोगों को आस जगी कि सरकार द्वारा सामान बनाने का उपकरण व कच्चा माल उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे अधिक सामानों को बनाकर धंधे को बढ़ाया जा सके। लेकिन लोहारगिरी शेड में मशीन नहीं लगी एवं कच्चा माल भी उपलब्ध नहीं कराया गया है। शेड कुछ दिनों के बाद ही बंद हो गया।
कुलदीप कुमार, बीडीओ ने कहा कि लोहारगिरी शेड को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए लौह कारीगरों के साथ बैठक की जाएगी। पाथरौल में लौह व्यवसाय को पटरी पर लाने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा।
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मंदी के दौर से गुजर रहा पथरौल का लौह व्यापार - दैनिक जागरण
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