Publish Date: | Sat, 17 Jul 2021 08:22 PM (IST)
बेगमगंज। नवदुनिया न्यूज
कोरोना संक्रमण के चलते दो साल से स्कूल बंद हैं। जिसके कारण यूनिफार्म का व्यवसाय पूरी तरह प्रभावित हो गया है। वहीं स्टेशनरी का व्यवसाय 75 प्रतिशत प्रभावित होने से दुकानदार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में व्यापारियों को उम्मीद थी कि कुछ दिन बाद स्कूल खुल जाएंगे। इसलिए उन्होंने विभिन्ना स्कूलों की ड्रेस तैयार करके रख ली, लेकिन पूरा वर्ष निकल गया स्कूले नहीं खुली इस वर्ष भी यही स्थिति रही। अब कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के चलते स्कूल फिर नहीं खुल रहे हैं। जिससे पिछले साल से लेकर इस वर्ष तक यूनिफॉर्म की बिक्री बिल्कुल भी नहीं हो सकी। वही स्कूल, कॉलेज में लगने वाली स्टेशनरी की बिक्री मात्र 25 प्रतिशत होने से 75 प्रतिशत स्टॉक व्यवसाय करने वालों की गोदाम में भरा पड़ा हुआ है। जिससे वे आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। एक दर्जन स्टेशनरी एवं 14 ड्रेस कारोबार से जुड़े व्यापारियों को इन दो साल में करीब तीन करोड़ रुपये का व्यवसाय ठप हुआ है। जिसकी वजह से माल रुक कर रह गया है। सभी व्यापारी माल की बिक्री नहीं होने से ज्यादा परेशान हो रहे हैं कि यदि प्राइवेट स्कूलों ने दो साल बाद ड्रेस बदल दी तो उनके गोदामों पर रखी ड्रेस बेकार हो जाएगी। गौरतलब है कि तहसील में 22 से अधिक निजी स्कूल हैं। जिसमें व्यापारियों का ड्रेस और स्टेशनरी का प्रत्येक वर्ष डेढ़ से दो करोड़ रुपये का व्यापार होता है। जो 2 साल से कोरोना काल में 40 से 45 लाख रुपये पर सिमट कर रह गया है। इसी कारण स्टेशनरी वालों ने इस बार नया माल नहीं मंगवाया है। यही हाल ड्रेस व्यवसायियों का भी है। निजी स्कूलों में करीब 12000 विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। कक्षा एक से 12 तक के बच्चों का औसत अगर निकाला जाए तो प्रत्येक बच्चे पर 2000 रुपये स्टेशनरी का खर्च आता है। वही ड्रेस पर प्रत्येक बच्चे पर 800 रुपये औसतन खर्च आता है। कुछ बच्चे पुरानी ड्रेस से काम चलाते हैं तो ज्यादातर बच्चे नई ड्रेस व स्टेशनरी खरीदते हैं। उस हिसाब से प्रत्येक साल दो करोड़ का व्यवसाय होता है।
क्या करते हैं दुकानदार
स्टेशनरी विक्रेता मुकेश नेमा, सुनील जैन ने बताया कि फरवरी 2020 में स्कूलों की पुस्तकें और स्टेशनरी का सामान बुलवा लिया था। जो आज तक रुका हुआ है। ड्रेस विक्रेता सुनील जैन का कहना है कि फरवरी में स्टाक करके रखा गया था। पिछले साल से इस वर्ष तक ड्रेस तो बिकी ही नहीं है। स्टेशनरी जरूर 25 फीसद बिकी है। यही कारण है कि इस वर्ष स्टाक करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। पिछले साल का पैसा ही कर्ज लेकर व्यापारियों का चुकाया है। जिनसे पैसा लिया है उस पर ब्याज देना पड़ रहा है। स्टेशनरी विक्रेता अमर चंद जैन, रफीक खान का कहना था की मार्च-अप्रैल में व्यवसाय चलता था। जिसमें जुलाई तक हम लोगों को फुर्सत नहीं मिलती थी। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार भी नाममात्र को स्टेशनरी बिक रही है।
Posted By: Nai Dunia News Network
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यूनिफॉर्म का 100 तो स्टेशनरी का 75 प्रतिशत व्यवसाय प्रभावित - Nai Dunia
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