बांदा। वरिष्ठ संवाददाता
मशरूम व्यवसाय से दो से चार गुना फायदा त्वरित पाया जा सकता है। इसके लिए लिए जिला, राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तरीय विभिन्न वित्तीय एजेंसियों से वित्तीय सहायता प्राप्त करना भी आसान है। मशरूम व्यवसाय बहुत ही अच्छा उद्यम साबित हुआ है। कम प्रयासों से इससे ग्रामीण परिवारों को रोजगार व उनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए काफी आमदनी होती है। ये बातें कुलपति डॉ. यूएस गौतम ने कहीं।
महिलाओं, बेरोजगार युवाओं, ग्रामीण लोगों एवं किसानों को मशरूम व्यवसाय के द्वारा स्वरोजगार प्रदान करने के लिए विवि में स्थापित मशरूम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र में पांच दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित हुआ। शनिवार को समापन समारोह में सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाणपत्र और मशरूम प्रशिक्षण पुस्तिका दी गई। कार्यक्रम के संयोजक और पादप रोग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड व प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के बेरोजगार युवाओं को मशरूम उद्यमी बनाना है, जो भारत सरकार की संकल्पना किसानों की दोगुनी आय व आत्मनिर्भर भारत को सफल बनाने में मदद करेगा। मशरूम यूनिट के प्रभारी ने बताया कि प्रशिक्षण में बांदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, अयोध्या, प्रयागराज और मिर्जापुर से आये 55 प्रतिभागियों को व्यवसाय से सम्बंधित समस्त पहलुओं की जानकारी दी गई। 10 वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों ने 20 से ज्यादा टॉपिक पर प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर सफल उद्यमियों का ऑनलाइन व्याख्यान भी कराया गया। व्याख्यान में नम्रता यदु निदेशक छत्तीसगढ़ मशरूम फार्म एवं स्वतंत्र सिंह, मशरूम उद्यमी देवरिया ने वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम अक्तूबर व नवम्बर में भी आयोजित होगा।
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मशरूम व्यवसाय में दो से चार गुना फायदा त्वरित पाया जा सकता - Hindustan हिंदी
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