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संस्थान में पहुंचे डाॅ. नवीन पटले को मौन पालकों ने बताया कि वर्तमान में मौन पालन में शहद का उचित मूल्य न मिलना, फीडिंग माइग्रेशन एवं लेबर का खर्च बढ़ जाना, सरसों, सूरजमुखी आदि के बीज हाई ब्रीड आने और नया फूल विहीन यूकेलिप्टस आ जाने से सोर्स ऑफ फ़्लोरा कम हो गया है। इससे उत्पादन कम होने लगा है। संस्थान के डायरेक्टर देवव्रत शर्मा एवं प्रियव्रत शर्मा ने समाधान सुझाते हुए कहा कि देश के समस्त कृषि क्षेत्रफल को परपरागित कराने के लिए लगभग तीन अरब डिब्बों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा समस्त सब्सिडी बंद करके मधुमखी पालकों के शहद की कीमत 120 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित करने, शहद के समस्त उत्पाद एवं संबंधित उपकरण जीएसटी मुक्त करने, ऑफ सीजन में फीडिंग आदि के लिए क्रेडिट कार्ड कि व्यवस्था करने और इस व्यवसाय कि आय को आयकर से मुक्त करके मौनपालन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। डाॅ. नवीन पटले ने उन्हें उक्त सुझावों से सरकार को लिखित रूप में अवगत कराने का आश्वासन दिया। अजय सिरोही, सत्यव्रत शर्मा, नीरज सैनी, प्रशांत सैनी, सुशील सैनी, प्रदीप सिंह, डाॅ. मनोज सिंह, राजेश आदि रहे।
Saharanpur News: मौन पालन व्यवसाय की समस्याओं के समाधान पर किया मंथन - अमर उजाला
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