रिपोर्ट- पुष्पेंद्र मीना
दौसा. तमाम मुश्किलों व चुनौतियों के बाद आगे बढ़ते रहना ही जीवन होता है. कई लोग मुश्किल परिस्थितियों के आगे बिना लड़े हार मान जाते हैं तो कई लोग उनका डटकर मुकाबला करते हैं. दौसा के सिकंदरा ब्लॉक के रामगढ़ की शकुंतला भी उन लोगों मेंं से हैं, जो मुश्किलों का डटकर सामना कर रही हैं और एक हद तक सफलता भी पा रही हैं. दरअसल, उनकी कहानी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के आत्मविश्वास की कहानी है. जो विपरीत परिस्थितियों मेंं भी नहीं डगमगाती.
सिकंदरा कस्बे के चौराहे पर सिलाई की दुकान करने वाली शकुंतला पहले सामान्य गृहिणी थी और घर के कामकाज में ही व्यवस्त रहती थी. लेकिन, कुछ समय पहले हत्या से जुड़े एक मामले में उनके पति के जेल चले जाने से उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. परिवार और दो बच्चोंं की जिम्मेदारी अचानक कंधों पर आ गई. इसके बाद वे राजीविका से जुड़ी और खुद का व्यवसाय करने की दिशा में आगे बढ़ी.
शकुंतला की जुबानी उनकी कहानी
रामगढ़ निवासी शकुंतला गुर्जर ने बताया कि वे सबसे पहले समूह में शामिल हुई और प्रत्येक सप्ताह बैठक करनी शुरू की. इन बैठकोंं में 20-20 रुपए जमा कराए. इसक बाद उनको राजीविका और सेंटर ऑफ माइक्रो फाइनेंस से 75 हजार रुपए लोन मिला. लोन की इस राशि से शकुंतला ने सिलाई मशीन व अन्य सामान खरीदकर कपड़ों की सिलाई करने का कार्य शुरू किया. धीरे-धीरे काम चलने पर उन्होंने अपनी दुकान भी खोल ली.
सिलाई और कढ़ाई से चलता है घर
शकुंतला गुर्जर बताती हैं कि सिकंदरा चौराहे पर मरुधरा बैंक के पास में उन्होंने एक दुकान किराए पर ली. इसी दुकान से वे सिलाई और कढ़ाई का कार्य करती हैं. सिलाई करना वे पहले से जानती थी. लेकिन, बाद में कपड़ों पर कढ़ाई करने का कार्य सीखा. कढ़ाई सीखने के बाद उनकी आमदनी भी बढ़ी है और इसी आमदनी से उनका घर का खर्चा भी चलता है. शकुंतला ने बताया कि वे करीब 30 हजार रुपए प्रतिमाह कमा लेती हैं. दो बेटों की पढ़ाई का खर्चा भी शकुंतला खुद उठाती हैं.
शंकुतला को प्रेरित करने में रुक्मिणी की अहम भूमिका
शकुंतला गुर्जर ने बताया कि वे सेंटर ऑफ माइक्रो फाइनेंस की मैनेजर रुक्मिणी सक्सेना की प्रेरणा से ही अपना व्यवसाय शुरू कर पाई हैं. रुक्मिणी सक्सेना ने शकुंतला की पीड़ा महसूस की व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित किया. लेकिन, पहले शकुंतला शुरुआत में काफी डरी हुई थी. पर जब समूह में महिलाओं के साथ बैठकर शकुंतला ने प्रशिक्षण लिया तो शकुंतला का डर दूर हो गया. इसके बाद उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू किया.
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